लोकसभा चुनाव का दूसरा चरण है आज। पहले चरण में 102 सीटों पर 19 अप्रैल को वोट डाले गए थे। आज दूसरे चरण में 88 सीटों पर वोटिंग होनी है।
पहले चरण में 2 से 12 प्रतिशत तक कम वोट डाले गए थे। इससे कई राजनीतिक दलों में चिंता की लहर दौड़ गई थी। केवल इस कम वोटिंग प्रतिशत से सजग होकर कई पार्टियाँ नए- नए मुद्दे चुनाव प्रचार में लाने पर मजबूर हुईं।
पहले चरण के बाद पहली बार इस लोकसभा चुनाव के प्रचार में काफ़ी गर्मी आ गई। ग़ुस्सा और तल्ख़ी भी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तो चार दिन में दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय माँग लिया है।
दरअसल, खरगे ने चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री से कहा है कि आप मुझे मिलने का समय दे दीजिए ताकि मैं आपको कांग्रेस का घोषणापत्र (न्यायपत्र) अच्छी तरह से समझा सकूँ। ताकि आप उसका ग़लत विश्लेषण नहीं करें। आप के सलाहकार आप को हमारा मेनिफेस्टो सही तरीक़े से समझा नहीं पा रहे हैं।
हालाँकि खरगे की प्रधानमंत्री को भेजी गई यह चिट्ठी भी एक तरह से चुनाव प्रचार का ही तरीक़ा है। लेकिन क्या किया जा सकता है। चुनाव हैं। यहाँ सब कुछ जायज़ है।
जहां तक कम वोटिंग प्रतिशत का सवाल है, अगर इस दूसरे चरण में भी हाल पहले की तरह ही रहा तो कई पार्टियों के गणित गड़बड़ा सकते हैं। हो सकता है प्रचार में फिर और अधिक तल्ख़ी आ जाए!
वैसे वोटिंग प्रतिशत गिरने का कारण कुछ राज्यों में पड़ रही भीषण गर्मी भी हो सकती है लेकिन वजह जो भी हो, दस- बारह प्रतिशत तक वोटिंग का गिरना बहुत बड़ा आश्चर्य तो है ही।
निश्चित रूप से पहले चरण से सबक़ लेकर पार्टियों ने अपने कार्यकर्ताओं को वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के नए- नए मंत्र तो दिए ही होंगे। सजग कार्यकर्ता वोटरों को घर से निकालने में जी जान भी ज़रूर लगाएँगे। आख़िर होगा क्या, यह तो आज शाम तक ही पता चल पाएगा।
इस बीच चुनाव आयोग को रोज कुछ रोचक और महत्वपूर्ण सुझाव भी भेजे जा रहे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण जो सुझाव माना जा रहा है उसमें कहा गया है कि मतदान को अब मताधिकार और मतदाता को मताधिकारी कहा जाना चाहिए।
निश्चित रूप से यह सुझाव अच्छा है और वोटर का गौरव बढ़ाने की दिशा में एक अच्छा प्रयास भी। चुनाव आयोग इस बारे में क्या सोचता है, क्या और कब इस दिशा में कोई निर्णय लिया जाएगा, यह तो इस चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा।