मणिपुर के वेस्ट इम्फाल में गोलीबारी:12 लोगों ने फायरिंग की, मोर्टार दागे; पुलिस ने महिलाओं-बच्चों को सुरक्षित जगह पहुंचाया
मणिपुर के इम्फाल वेस्ट जिले के कॉर्तुक गांव में रविवार सुबह दो गुटों के बीच गोलीबारी हुई। पुलिस ने बताया कि एक गुट के 12 लोगों ने पहाड़ी इलाके से एक साथ गांव पर ओपन फायरिंग की। उन्होंने मोर्टार भी दागे। जवाब में गांववालों ने भी फायरिंग की।
पुलिस ने कहा कि घरों में गोलियों के निशान साफ देखे जा सकते हैं। महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित जगह तक पहुंचाया गया है। फिलहाल किसी के भी घायल होने की सूचना नहीं है।
इससे पहले 26 अप्रैल की रात को इंफाल ईस्ट के बॉर्डर पर सिनम कोम गांव में दो गुटों के बीच गोलीबारी हुई थी। इसमें 33 साल एक विलेज वालंटियर की मौत हो गई थी। मृतक की पहचान लैशराम प्रेम के रूप में की गई है। गोलीबारी के बाद से लैशराम लापता था। 27 अप्रैल को सुबह उसका शव बरामद किया गया।
एक दिन पहले कुकी उग्रवादियों ने सेंट्रल फोर्स की चौकी पर बम फेंका था, 2 जवान शहीद हुए थे
मणिपुर में लोकसभा चुनाव की वोटिंग के ठीक 6 घंटे बाद 27 अप्रैल को विष्णुपुर जिले में कुकी उग्रवादियों के हमले में CRPF के दो जवान शहीद हो गए। घटना में दो जवान घायल भी हुए हैं। मणिपुर पुलिस के मुताबिक, कुकी समुदाय के उग्रवादियों ने देर रात 12:30 बजे से लेकर 2:15 बजे के दौरान मैतेई बहुल गांव नारानसैना की ओर फायरिंग की और 4 बम भी फेंके थे।
जवानों की मौत के मामले को लेकर CRPF के IG अखिलेश प्रसाद सिंह ने रविवार को कहा- कल की घटना हम सब के लिए बहुत दुखद थी। पिछले एक साल में यहां बड़ी संख्या में CRPF जवानों को तैनात किया गया है। हमारे रिमोट कैंप पर पहली बार हमला हुआ है। इस घटना को अंजाम देने वालों को हम जल्द ढूंढ निकालेंगे। पूरी खबर पढ़ें…
मणिपुर में 3 मई 2023 से हिंसा जारी, अब तक 200 से ज्यादा मौतें
मणिपुर में पिछले साल 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। राज्य में अब तक हुई हिंसा की घटनाओं में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।