जम्मू-कश्मीर की चिनाब वैली का 120 किमी का क्षेत्र धंस रहा है। हर दिन जमीन एक इंच से आधा फीट तक खिसक रही है। इसका सबसे ताजा उदाहरण रामबन है, जहां बीते शुक्रवार को 800 मी. इलाके में जमीन धंसने से 70 घर तबाह हो गए।
यहां रह रहे करीब 400 लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा। पानी और बिजली सप्लाई 7 दिन से बंद है। वैली में एक साल में तीन जिलों डोडा, रामबन और किश्तवाड़ में जमीन धंसने की छह घटनाएं हो चुकी हैं। करीब 900 घरों में दरारें हैं।
प्राथमिक जांच में जमीन धंसने की दो वजह सामने आई हैं…
- पहली- यहां चल रहे करीब 25 हजार करोड़ रु. के चार प्रोजेक्ट।
- दूसरी- डोडा और किश्तवाड़ का भूकंपीय जोन-4 में होना। इन क्षेत्रों में 5 साल में 3.5 तीव्रता तक के 150 झटके आ चुके हैं।
मार्च में भी धंसी थी जमीन, पूरा इलाका खतरे में है
रामबन के जिला विकास आयुक्त बसीर उल हक चौधरी ने कहा कि जमीन जिस तेजी से धंस रही है, उससे हम भी हैरान हैं। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक टीम जमीन की स्थिति जांच रही है। गूल इलाके के 30 साल के जावेद अहमद ने कहा कि मार्च में भी हल्ला क्षेत्र के 40 गांवों में जमीन खिसकी थी। हम जनवरी से प्रशासन से शिकायत कर रहे। न हमें शिफ्ट किया गया, न ही प्रोजेक्ट रोके। अब जब घर टूट गए, तब 8 किमी दूरी कम्युनिटी सेंटर में शिफ्ट किया है। हम मुश्किल से दिन गुजार रहे हैं।
बड़ा सवाल: जब पूरी चिनाब वैली संवेदनशील तो फिर बड़े प्रोजेक्ट क्यों?
भूविज्ञानी फजाज अहमद बताते हैं कि पूरी चिनाब वैली बहुत ही संवेदनशील है। इसके बावजूद यहां सड़क, टनल और हाइड्रो प्रोजेक्ट शुरू किए गए। डोडा और किश्तवाड़ भूकंपनीय इलाके हैं, फिर भी वहां ब्लास्टिंग जारी है। जम्मू-श्रीनगर हाईवे को 16 हजार करोड़ में फोन लेन किया जा रहा है। इसमें 300 से 500 मी. लंबी 8 टनल बन रहीं हैं। जबकि रेलवे 11 किमी लंबी दो टनल बना रहा है, जो जम्मू को श्रीनगर से जोड़ेंगी।
पर्यावरणविद शरीफ भट कहते हैं कि वैली के पहाड़ बहुत ही नाजुक हैं, फिर भी हैवी मशीनरी से काम हुआ। इतने संवेदनशील जोन में इतने बड़े प्रोजेक्ट जमीन कमजोर कर रहे हैं। इसका नतीजा हमारे सामने है।