तेलंगाना के छात्र रोहित वेमुला की मौत के 8 साल बाद हैदराबाद पुलिस ने केस की जांच पूरी की। तेलंगाना हाईकोर्ट में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट जमा की। इसमें कहा गया है कि रोहित दलित नहीं था।
मामले की जांच बंद करते हुए पुलिस की तरफ से तेलंगाना हाईकोर्ट में यह दावा किया गया कि रोहित इस बात को जानता था कि वह दलित नहीं था। जाति की पहचान उजागर होने के डर से उसने आत्महत्या कर ली थी। जनवरी 2016 में रोहित वेमुला की मौत के चलते विश्वविद्यालयों में दलितों के खिलाफ भेदभाव को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन हुए थे।
NDTV के मुताबिक, क्लोजर रिपोर्ट 21 मार्च को दाखिल कर दी गई थी, लेकिन इसे 3 मई को उजागर किया गया। तेलंगाना में 13 मई को चौथे फेज की वोटिंग है।
तेलंगाना में इस समय कांग्रेस सरकार है। जिस समय घटना हुई (2016 में), तब राज्य में के चंद्रशेखर राव की सरकार थी। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर हुए प्रदर्शनों का समर्थन किया। राहुल गांधी ने इस मामले को संसद में भी उठाया था।
रोहित को अपनी जाति के सामने आने का डर था- पुलिस जांच में खुलासा
पुलिस की जांच में सामने आया कि रोहित ने अपनी सही जाति के उजागर होने के डर से आत्महत्या की थी। उसने खुद को अनुसूचित जाति वर्ग (ST) से बताया था। पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि रोहित को डर था कि उनकी जाति की सच्चाई बाहर आ जाएगी, क्योंकि वो ST वर्ग से नहीं था।
पुलिस ने अपनी इस रिपोर्ट को तेलंगाना हाईकोर्ट को सौंपा और कहा है कि रोहित को पता था कि उनकी मां ने उन्हें अनुसूचित जाति (SC) का सर्टिफिकेट दिलवाया था।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि रोहित ने इसी सर्टिफिकेट के जरिए अपनी एकेडमिक उपलब्धियां हासिल की थीं। रोहित वेमुला को डर था कि अगर उनकी जाति की सच्चाई बाहर आ गई तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
पूर्व सांसद और पूर्व वीसी को क्लीनचिट
पुलिस की ओर से दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट में तब सिकंदराबाद के सांसद रहे बंडारू दत्तात्रेय, विधान परिषद के सदस्य एन रामचंद्र राव, पूर्व कुलपति अप्पा राव, ABVP नेताओं सहित कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को निर्दोष बताया गया है।
रोहित समेत पांच स्टूडेंट्स को हॉस्टल से निकाला गया था
17 जनवरी 2016 को रोहित वेमुला ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी में अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली थी। इस आत्महत्या के बाद देशभर की यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। रोहित वेमुला एक संगठन अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य थे। वे हैदराबाद यूनिवर्सिटी के उन पांच छात्रों में शामिल थे, जिन्हें हॉस्टल से निकाल दिया गया था।
रोहित समेत इन पांचों छात्रों पर साल 2015 में आरोप लगा था कि उन्होंने ABVP के सदस्य पर हमला किया था। यूनिवर्सिटी ने अपनी प्रारंभिक जांच में पांचों छात्रों को क्लीनचिट दे दी थी, लेकिन बाद में अपने फैसले को पलट दिया था।