Headlines

लद्दाख में निर्दलीय की स्थिति मजबूत:लद्दाख के अशांत पानी में भाजपा और कांग्रेस मछली पकड़ रहे

लद्दाख संसदीय सीट पर लड़ाई बेहद दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है और प्रचार आगे बढ़ने के साथ ही नतीजे भी शीशे की तरह साफ होते जा रहे हैं। यहां भाजपा या कांग्रेस प्रत्याशी के मुकाबले निर्दलीय प्रत्याशी मजबूत स्थिति में है।

करगिल से आने वाले इस प्रत्याशी को इंडिया खेमे के दल नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन हासिल है और करगिल की कांग्रेस इकाई भी आधिकारिक प्रत्याशी के बजाय इसी प्रत्याशी के साथ खड़ी है। कुल मिलाकर, भाजपा व कांग्रेस दोनों ही लद्दाख के अशांत जल में मछली पकड़ रहे हैं।

यहां 2014 से भाजपा काबिज है, लेकिन इस बार उसके लिए समीकरण पहले जैसे नहीं है। दो महीनों से लद्दाख में हो रहे प्रदर्शनों ने भाजपा को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है।

भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद का टिकट काटा
लद्दाख में 2014 से भाजपा काबिज है, लेकिन इस बार उसके लिए समीकरण पहले जैसे नहीं है। पार्टी ने अपने मौजूदा निवर्तमान सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल का टिकट काट दिया है। अनुच्छेद 370 के खात्मे के दिन नामग्याल का संसद में दिया भाषण पूरे देश में चर्चित हुआ था।

पार्टी ने अपने मौजूदा निवर्तमान सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल का टिकट काट दिया है।

अब पार्टी ने उनकी जगह ताशी ग्यालसन को प्रत्याशी बनाया है। इससे पार्टी के भीतर दरार और अविश्वास स्पष्ट दिखता है। टिकट कटने पर नामग्याल की नाराजगी सामने आने के बाद केंद्रीय मंत्री किरेण रिजिजू मतभेद सुलझाने लद्दाख आए थे।

इसके बाद जामयांग, ग्यालसन के लिए प्रचार करते दिखे हैं, लेकिन दो महीनों से लद्दाख में हो रहे प्रदर्शनों ने भाजपा को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है। ये प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाने के लिए हो रहे हैं। इसके समर्थन में लोग कड़ाके की सर्दी में 66 दिनों तक भूख हड़ताल पर भी रहे।

पूर्ण राज्य के दर्ज की मांग को लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया।

लद्दाख को लेकर अब तक नहीं निकला ठोस नतीजा
भाजपा ने पिछले दो चुनावी घोषणापत्रों में लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था। एक बार 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान और फिर 2020 में लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह चुनाव के दौरान। हालांकि, कुछ वर्षों बाद पार्टी और केंद्र के नेता लद्दाख के लोगों से किए गए वादों से पीछे हट गए।

लद्दाख के नेताओं और गृह मंत्रालय के बीच कई दौर की बैठकें हुईं पर ठोस नतीजा नहीं निकला। इस साल 4 मार्च को आखिरी बैठक में सरकार ने लद्दाख की मांगों, को खारिज कर दिया। इसके चलते 6 मार्च को भूख हड़ताल शुरू हुई और 10 मई को चुनावों के लिए निलंबित कर दिया गया।

भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार एक ही परिषद के सदस्य
भाजपा के उम्मीदवार ताशी ग्यालसन वर्तमान में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद लेह के अध्यक्ष हैं, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार त्सेरिंग नामग्याल उसी परिषद में विपक्ष का नेतृत्व करते हैं। दोनों उम्मीदवार लेह जिले के रहने वाले हैं। कारगिल जिले में पूर्व एलएएचडीसी अध्यक्ष हाजी हनीफा जान को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में खड़े हैं।

करगिल में 95,928 मतदाता हैं, जबकि लेह में दो उम्मीदवारों के साथ केवल 88,845 मतदाता हैं। लेह के उम्मीदवारों के लिए करगिल से महत्वपूर्ण वोट हासिल करना असंभव लगता है। ऐसे में हाजी हनीफा के लिए यह लड़ाई आसान हो गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Budget 2024