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कोलकाता में खड़गे के पोस्टर पर स्याही पोती:लिखा- TMC के एजेंट हैं; कांग्रेस महासचिव ने बंगाल प्रभारी से रिपोर्ट मांगी

कोलकाता में कांग्रेस पार्टी के स्टेट कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर पर स्याही लगाई गई थी। अब इस पोस्टर को हटा दिया गया है।

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में कांग्रेस पार्टी के राज्य ऑफिस के बाहर लगे AICC चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे के पोस्टर पर स्याही लगाई गई और तृणमूल कांग्रेस का एजेंट भी लिखा गया। साथ ही पोस्टरों को तोड़ा गाय।

यह घटना 19 मई की बताई गई है। घटना तब सामने आई है जब अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी के INDI गठबंधन के समर्थन को लेकर सवाल उठाया थी। जिस पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने अधीर को पार्टी छोड़ने की नसीहत दी थी

इस मामले में पार्टी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने पश्चिम बंगाल के प्रभारी AICC महासचिव से रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। वेणुगोपाल ने बंगाल में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ऐसी घोर अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

वहीं, कांग्रेस के नेता ने कहा यह काम TMC का है। वो कांग्रेस नेताओं और अधीर रंजन चौधरी के बीच मतभेद पैदा करना चाहती है। वहीं, वेणुगोपाल ने कहा है कि इस घटना से लाखों पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भावनाएं आहत हुई हैं।

ममता ने कहा था- इंडिया ब्लॉक उनके दिमाग की उपज, TMC का इंडी गठबंधन को समर्थन
दरअसल, ममता बनर्जी ने 15 मई को पश्चिम बंगाल के हुगली में एक चुनावी सभा में कहा- केंद्र में सरकार बनाने के लिए तृणमूल कांग्रेस I.N.D.I.A गठबंधन को बाहर से समर्थन देगी। 16 मई को उन्होंने मेदिनीपुर में कहा- इंडिया ब्लॉक उनके दिमाग की उपज है। मैं दिल्ली वाले गठबंधन में साथ हूं।

इस पर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा- वो चालाक महिला हैं, उन पर भरोसा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस 40 सीटें नहीं जीत सकती। अब वे समझ गई हैं कि वोटर्स इंडी गठबंधन को सपोर्ट कर रहे हैं। ये राजनीति में जिंदा रहने की उनकी एक चाल है।

अधीर के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 18 मई को उन्हें चेतावनी दी थी। खड़गे ने कहा- ममता बनर्जी I.N.D.I.A गठबंधन के साथ हैं। इसका फैसला अधीर रंजन नहीं करेंगे। अगर वे मेरे या हाईकमान के फैसले से सहमत नहीं हैं तो पार्टी छोड़कर जा सकते हैं।

ममता के बयान के बाद अधीर और खड़गे ने क्या-क्या कहा था, सिलसिलेवार पढ़ें…

  • 15 मई को ममता बनर्जी की हुगली जिले के चिनसुराह में चुनावी रैली थी। यहां उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी केंद्र में सरकार बनाने के लिए इंडिया गठबंधन भारत को बाहर से समर्थन देगी। उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल में सीपीआई (एम) और कांग्रेस पर भरोसा न करें। वे हमारे साथ नहीं, भाजपा के साथ हैं। मैं दिल्ली के इंडिया ब्लॉक की बात कर रही हूं।
  • 15 मई को ही अधीर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने कहा- अब यह साफ हो चुका है कि इंडी गठबंधन सरकार बनाने की कगार पर है। इसलिए एक चतुर और मौकापरस्त नेता के रूप में, ममता बनर्जी ने पहले ही अपना समर्थन देने का फैसला सुना दिया है।
  • अधीर ने यह भी कहा कि ममता ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। वे समझ गई हैं कि वोटर्स इंडी गठबंधन को सपोर्ट कर रहे हैं। उन्हें एहसास हो गया है कि उन्हें अलग-थलग कर दिया गया है। ये राजनीति में जिंदा रहने की एक चाल है।
  • चौधरी ने कहा- मुझे नहीं पता कि किस वजह से उन्हें गठबंधन छोड़ना पड़ा। उन्होंने यहां तक ​​कहा था कि कांग्रेस को 40 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी। अब वे देख सकती हैं कि देश भर में स्थिति बदल रही है।
  • 16 मई को ममता ने मेदिनीपुर में एक सभा में अपने बयान पर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा इंडिया ब्लॉक उनके दिमाग की उपज है। और TMC अभी भी इंडी ब्लॉक का हिस्सा है। फिर भी टीएमसी ने बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। कांग्रेस और वाम मोर्चा ने राज्य के लिए सीट-बंटवारे का समझौता किया है, जिसके तहत वाम मोर्चा 12 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, जबकि बाकी 30 सीटों को कांग्रेस ने अपने लिए रखा गया है।
  • 18 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अधीर रंजन को चेतावनी देते हुए कहा कि ममता बनर्जी इंडी गठबंधन के साथ हैं। उन्होंने हाल ही में कहा है कि वह सरकार में शामिल होंगी। इसका फैसला अधीर रंजन चौधरी नहीं करेंगे। अगर वे मेरे या पार्टी हाईकमान के फैसले से सहमत नहीं हैं तो वे पार्टी छोड़ सकते हैं।
  • खड़गे के बयान के कुछ घंटे बाद चौधरी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा- मैं किसी ऐसे व्यक्ति के पक्ष में नहीं बोल सकता जो मुझे और बंगाल में हमारी पार्टी को राजनीतिक रूप से खत्म करना चाहता है। यह हर कांग्रेस कार्यकर्ता की लड़ाई है। मैंने उन सभी की ओर से बात की है।
  • चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने पुरुलिया, बांकुरा और झाड़ग्राम में वामपंथियों को बदनाम करने के लिए माओवादियों की मदद ली और फिर उन्हें छोड़ दिया

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