आगरा में जूता व्यापारियों के यहां 60 करोड़ कैश:मशीन से नोट गिनने शिफ्ट में बुलाए कर्मचारी, पर्ची कारोबार से होता था पूरा खेल
आगरा में 3 जूता कारोबारियों के यहां इनकम टैक्स की रेड जारी है। शनिवार से शुरू हुई रेड मंगलवार तक चल सकती है। इनकम टैक्स विभाग को अभी तक करीब 60 करोड़ रुपए कैश मिले हैं। अधिकारियों ने कारोबारियों से बरामद कैश को भारतीय स्टेट बैंक में जमा कराने के लिए भेजा है। बैंक स्टाफ जब नोटों की गिनती पूरी कर लेगा, तभी कैश की सटीक जानकारी मिल सकेगी।
सबसे ज्यादा कैश हरमिलाप ट्रेडर्स के मालिक रामनाथ डंग के यहां से मिला। वह आगरा के जूता कारोबार में पर्ची सिस्टम के बडे़ खिलाड़ी हैं। रामनाथ जूता कारोबार में आने से पहले साधारण व्यक्ति थे। उन्होंने आटा चक्की से शुरुआत की थी। 25 साल में वो कैसे करोड़ों के मालिक बन गए? इस सवाल को लेकर टीम जांच कर रही है।
आगरा में शनिवार को इनकम टैक्स विभाग ने आगरा के तीन जूता कारोबारियों के यहां पर रेड की थी। तीनों कारोबारी बीके शूज के एमजी रोड स्थित प्रतिष्ठान और सूर्य नगर स्थित घर, हरमिलाप ट्रेडर्स के मालिक रामनाथ डंग के घर व फर्म व मंशु फुटवियर के आवास व फर्म पर रेड की गई। तीनों के करीब 14 ठिकानों पर कार्रवाई की गई।
दो कारोबारियों के यहां पर लगातार करीब 36 घंटे तक कार्रवाई चली। रात 12 बजे तक हरमिलाप ट्रेडर्स के मालिक रामनाथ डंग के जयपुर हाउस स्थित आवास पर इनकम टैक्स की टीम नोट गिनने में जुटी रही। इसके अलावा बीके शूज और मंशु फुटवियर के यहां भी देर रात तक कार्रवाई चली।
इतने नोट कि मशीन हांफ गई, शिफ्ट में बुलाने पडे़ कर्मचारी
तीनों कारोबारियों के यहां से 500 के नोटों का जखीरा मिला है। बताया गया है कि रामनाथ डंग के यहां पर नोटों की गडि्डयों का पहाड़ मिला। अलमारी, बेड , सूटकेस, तकिए और गद्दों में नोट भरे थे। इतनी बड़ी संख्या में गडि्डयां देखकर इनकम टैक्स के अधिकारी भी सकते में आ गए। नोटों को गिनने के लिए बैंक से मशीन मंगवाई गई।
नोट गिनते-गिनते मशीन गर्म हो गई। कुछ देर के लिए उन्हें बंद करना पड़ा। इतना ही नहीं नोट गिनने के लिए SBI के कर्मचारियों को शिफ्ट में बुलाना पड़ा। शाम सात बजे रामनाथ डंग के यहां कर्मचारियों की शिफ्ट बदली गई। उस दौरान इनकम टैक्स की एक अधिकारी ने बताया कि नोटों की गिनती चल रही है।
कॉलोनी के लोग बोले- लगता नहीं था इतने बडे़ आदमी हैं
रामनाथ डंग के घर से करोड़ों रुपए बरामद होने के बाद पूरे इलाके में उनकी ही चर्चा थी। उनके घर के सामने से गुजरने वाला हर व्यक्ति रुककर उसी तरफ देख रहा था। आसपास के लोगों के मुताबिक लगता नहीं था कि उनके पास करोड़ों रुपए हैं। वो बेहद साधारण तरीके से रहते थे।
पर्ची कारोबार के किंग थे रामनाथ डंग
आगरा का घरेलू जूता बाजार पर्ची कारोबार पर निर्भर है। बड़े कारोबारी, छोटे कारोबारियों को पेमेंट करने के बजाय पर्ची थमा देते हैं। इस पर्ची को जरूरत पड़ने पर छोटे कारोबारी पर्ची का काम करने वालों से भुना लेते हैं। शू कारोबारियों की मानें तो रामनाथ डंक पर्ची कारोबार के किंग है।
घरेलू जूता बाजार में आगरा की बड़ी हिस्सेदारी
आगरा की घरेलू जूता बाजार में 65 प्रतिशत भागीदारी है। छोटे कारोबारियों द्वारा छोटे-छोटे कारखानों में जूता तैयार किया जाता है। आगरा की गली-मोहल्लों के घरों में छोटे कई जूता कारखाने हैं। यह कारोबार उधार पर ज्यादा चलता है। छोटे कारोबारी जब माल तैयार कर ले जाते हैं, तब वह उन्हें नकद रकम या चेक की जगह पर्ची थमा देते हैं।
पर्ची की वैलिडिटी 3 से 7 महीने
कारोबारी पर्ची के जरिए करोड़ों का व्यापार चलाते हुए इसे भुनाते हैं। पर्ची 3 से 7 माह के लिए चलती है। जूता कारोबार में पर्ची भुनाने वाले कारोबारियों में हरमिलाप ट्रेडर्स के रामनाथ डंग का होल्ड माना जाता है।
कारोबारी सूत्रों के अनुसार वह प्रति सैकड़ा एक से 1.25 प्रतिशत तक ब्याज लिया करते हैं। बीके शूज भी पर्ची कारोबार में सक्रिय है। इसमें प्रति सैकड़ा 40 पैसे ब्याज लिया जाता है।
रामनाथ ने आटा चक्की से शुरू किया था व्यापार
रामनाथ डंग शू मैटेरियल की ट्रेडिंग का काम करने वाले कारोबारी हैं। उनका नाम हींग की मंडी में पर्ची का काम करने वाले बड़े कारोबारियों में हैं। जो कि जूता कारोबारियों को ब्याज पर पैसा देते हैं। उनके यहां बड़ी मात्रा में कैश बरामद होने की वजह पर्ची कारोबार ही मानी जा रही है। रामनाथ ने पिछले दो दशक में कारोबार में इतनी तरक्की की।
हींग की मंडी से शुरू हुआ पर्ची का खेल
दो दशक पहले रामनाथ की मोती कटरा में आटा चक्की हुआ करती थी। इसके साथ वह हींग की मंडी में पर्ची का काम किया करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने रेग्जीन व फोम का काम शुरू किया। शू मैटेरियल से अधिक उनका पर्ची का काम है।
चुनाव की वजह से नहीं हो पा रहा था भुगतान
जूता कारोबारियों के यहां इतनी बड़ी कैश रकम बरामद होने के पीछे चुनाव भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। चुनाव की वजह से पर्चियों के बदले कैश का भुगतान नहीं हो पा रहा था। तभी इतना ज्यादा कैश इकट्ठा हो गया था। जिसकी भनक आयकर विभाग को लग गई थी।
जूता कारोबारियों ने बताया कि रामनाथ ब्याज पर जूता कारोबारियों को कर्ज देते थे। उनके घर से करोड़ों रुपए की धनराशि बरामद होने पर कारोबारी भी चौंक रहे हैं। पर्ची से काम संचालित करने के लिए ही वह इतनी बड़ी कैश रकम रखते थे।
पर्ची कारोबारी रडार पर
रामनाथ डंग के यहां से टीम को पर्ची कारोबारियों की लिस्ट मिलने की बात कही जा रही है। इसके अलावा जिन लोगों को रामनाथ ने उधार दिया है, उनकी लिस्ट भी मिली है। ऐसे में इनकम टैक्स विभाग की रडार पर पर्ची कारोबार से जुडे़ कई व्यापारी आ गए हैं।
मार्जिन कम करके बनाई साख
सूर्य नगर में रहने वाले सुभाष मिड्डा और अशोक मिड्डा द्वारा बीके शूज संचालित की जाती है। जूता कारोबारियों की माने तो इनके पिता छोटी सी दुकान चलाते थे। दोनों भाई नौकरी करते थे। नौकरी के दौरान इन्हें मुंबई की एक पार्टी मिली। इन्होंने उसे बाजार के मार्जिन से बहुत ही कम मार्जिन पर शू सप्लाई करना शुरू कर दिए। बस यहीं से इन्होंने रफ्तार पकड़ी। यह छोटे-छोटे ऑर्डर लिया करते थे।
धीरे-धीरे इन्होंने काम को बढ़ाया और सुभाष पार्क के नजदीक बीके शूज शुरू की। इनका फुट फैशन के नाम से ब्रांड है। घरेलू जूता कारोबार में इनका बड़ा नाम है। अब यह दुबई व सऊदी अरब में जूते का निर्यात भी करते हैं।
मंशु शूज हरदीप मिड्डा संचालित करते हैं। हरदीप ताजनगरी फेज-टू स्थित शंकर ग्रीन्स में रहते हैं। यह सुभाष मिड्डा और अशोक मिड्डा के भाई हैं। पहले तीनों भाई एक साथ काम करते थे।