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पुणे पोर्श केस:आरोपी के दादा का दावा- कार फैमिली ड्राइवर चला रहा था; पुलिस ने विशाल अग्रवाल का फोन जब्त किया

पुणे पोर्श केस के आरोपी नाबालिग के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने दावा किया है कि घटना के वक्त कार उनका फैमिली ड्राइवर चला रहा था। नाबालिग के दोस्तों ने भी ड्राइवर की बात कही है। पुलिस की पूछताछ में ड्राइवर ने भी अपने पहले बयान में गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की है।

वहीं, पुलिस की गिरफ्त में मौजूद आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल ने भी पुलिस को कहा था कि गाड़ी उसका बेटा नहीं, बल्कि हमारा फैमिली ड्राइवर चला रहा था। वहीं, पुलिस ने विशाल का फोन जब्त किया है। विशाल की कॉल डिटेल और अन्य जानकारी निकालने की कोशिश कर रही है।

दूसरी तरफ पुणे के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) आरोपी नाबालिग को 25 साल की उम्र के पहले लाइसेंस जारी नहीं करेगा। साथ ही RTO ने पोर्श कार का टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन 12 महीने के लिए रद्द कर दिया है।

जुवेनाइल बोर्ड ने आरोपी को 5 जून तक बाल सुधार गृह भेजा

ये तस्वीर पब के CCTV फुटेज की है। हादसे से पहले नाबालिग ने अपने दोस्तों के साथ शराब पी और नशे में कार लेकर निकल गया।

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 75 हजार रुपए के बॉन्ड और सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने की सजा सुनाते हुए नाबालिग आरोपी को जमानत दे दी थी। देशभर में इस फैसले का विरोध हुआ। पुणे में लोगों ने हड़ताल की तो महाराष्ट्र सरकार ने बोर्ड से फैसले पर फिर विचार करने को कहा।

बुधवार (22 मई) को बोर्ड ने आरोपी को पूछताछ के लिए फिर बुलाया। यहां पुलिस ने बताया कि अपराध क्रूर तरीके से किया गया। आरोपी 17 साल 8 महीने का है। वह महंगी कार चलाता है। शराब पीता है और उसका व्यवहार बालिग जैसा है। इसलिए इसे भी संज्ञान में लिया जाए। इसके बाद बोर्ड ने जमानत का फैसला रद्द कर आरोपी को 5 जून तक के लिए किशोर सुधार गृह भेज दिया।

थाने में आरोपी को पिज्जा-बर्गर खिलाने की भी जांच होगी
येरवड़ा थाना पुलिस पर आरोप लगाए गए थे कि घटना के बाद आरोपी को थाने में पिज्जा-बर्गर खाने को दिया गया था। पुलिस अब इसकी भी जांच करेगी। असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर अश्विनी राख येरवड़ा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ करेंगे। यहां पर घटना के बाद पहली शिकायत दर्ज की गई थी।

पुणे RTO ने पोर्श कार का टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन 12 महीने के लिए रद्द।

2.44 करोड़ की कार, 1758 रुपए के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ
RTO के अधिकारी संजीव भोर के मुताबिक, विशाल अग्रवाल ने इलेक्ट्रिक लग्जरी स्पोर्ट्स सेडान पोर्श कार मार्च में बेंगलुरु के एक डीलर से 2.44 करोड़ रुपए में खरीदी थी। डीलर ने 18 मार्च को टेम्परेरी रजिस्ट्रेशन के बाद यह कार विशाल को सौंपी थी। इसका रजिस्ट्रेशन 17 सितंबर 2024 तक वैलिड है।

उन्होंने आगे कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 199A (4) के मुताबिक, नाबालिग के मामले में कार का रजिस्ट्रेशन 12 महीने के लिए रद्द कर दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि कार ओनर 18 अप्रैल 2024 को पुणे के RTO ऑफिस में रजिस्ट्रेशन के लिए आया था। जांच और सभी प्रक्रिया उसी दिन पूरी कर दी गई थी, लेकिन 1758 रुपए नहीं चुकाने के कारण कार का रजिस्ट्रेशन नंबर जारी नहीं किया गया था।

भोर ने बताया कि अधिनियम के मुताबिक अगर किसी नाबालिग से कोई हादसा होता है तो उसे 25 साल की उम्र तक ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिल सकता।

आरोपी के दादा ने भाई से प्रॉपर्टी को लेकर विवाद में छोटा राजन से मदद मांगी थी
इधर, नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल का अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन निकला है। बताया जा रहा है कि 2021 में सुरेंद्र ने अपने भाई आरके अग्रवाल के साथ प्रॉपर्टी को लेकर विवाद निपटाने के लिए छोटा राजन से मदद मांगी थी। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि इसकी भी जांच होगी।

एक अधिकारी ने बताया कि पुणे पोर्श केस में नाबालिग आरोपी के दादा से पुणे पुलिस पूछताछ कर रही है। दूसरी तरफ, पुलिस ने नाबालिग आरोपी से ज्यादा उसके पिता विशाल अग्रवाल पर इल्जाम लगाए हैं। FIR के मुताबिक, रियल एस्टेट डेवलपर विशाल को पता था कि उसका बेटा नाबालिग है। फिर भी उसने बेटे को न सिर्फ 2.50 करोड़ कीमत वाली बिना नंबर प्लेट की पोर्श कार दी, बल्कि पब में शराब पार्टी के लिए अपना क्रेडिट कार्ड भी दिया था।

इस कार्ड से आरोपी ने 90 मिनट में 48 हजार रुपए का बिल चुकाया। कार के ड्राइवर ने आरोपी को गाड़ी देने से मना किया था, लेकिन पिता विशाल के कहने पर उसने गाड़ी दी। 18 मई की रात में आरोपी ने पब से शराब पार्टी के बाद बाइक सवार युवक-युवती को कार से टक्कर मार दी। हादसे में दोनों की मौत हो गई थी। पूरी खबर पढ़ें…

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