आजम खान, पत्नी और बेटे को हाईकोर्ट से जमानत:आजम की 7 साल की सजा पर भी रोक, बेटे के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में कोर्ट का फैसला
सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। बेटे के फर्जी प्रमाण पत्र मामले में हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। तीनों इस वक्त अलग-अलग जेल में बंद है।
बेटे अब्दुल्ला के दो बर्थ सर्टिफिकेट मामले में 7 महीने पहले 18 अक्टूबर 2023 को रामपुर की स्पेशल MP/MLA कोर्ट ने आजम खान, पत्नी तंजीन फातिमा और अब्दुल्ला को 7-7 साल की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट ने आजम खान की 7 साल की सजा पर भी रोक लगा दी। जबकि तंजीन फातिमा और अब्दुल्ला की सजा पर कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। 14 मई को हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हाईकोर्ट के वकील शरद शर्मा ने बताया कि आजम खान अभी जेल में रहेंगे। क्योंकि हेटस्पीच से जुड़े एक मामले में भी उन्हें 7 साल की सजा हुई है। बेटा अब्दुल्ला भी एक अन्य मामले में आरोपी है। ऐसे में सिर्फ तंजीन फातिमा जेल से बाहर आएंगी।
आजम खान और उनके परिवार ने MP/MLA कोर्ट की सजा के खिलाफ रामपुर सेशन कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। सेशन कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दाखिल की थी।
2019 में अब्दुल्ला आजम पर केस दर्ज हुआ था
रामपुर से भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में रामपुर के गंज थाने में तब सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान के बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने आईपीसी की धारा 193, 420, 467, 468, 471 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इसमें आजम खान और उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा को भी आरोपी बनाया था।
अब उस केस के बारे में, जिसमें आजम फैमिली को हुई थी सजा
सियासत के शिखर पर चल रहे आजम के परिवार पर राजनीतिक हमला साल 2017 से शुरू हुआ। जब पहली बार उनके बेटे के खिलाफ स्वार विधानसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद उम्र के गलत दस्तावेज लगाने का आरोप लगा था। 2017 के चुनाव में आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार सीट से सपा के विधायक चुने गए थे।
अब्दुल्ला के सामने BSP से चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खान ने नॉमिनेशन के समय अब्दुल्ला की उम्र 25 साल से कम होने का आरोप लगाया। जांच में आया कि अब्दुल्ला आजम ने फर्जी आयु प्रमाण पत्र पर चुनाव लड़ा था और वो नामांकन के समय 25 साल के नहीं थे। इसके बाद अब्दुल्ला का निर्वाचन रद्द कर दिया गया। उनकी सदस्यता भी चली गई।
इस मामले में दर्ज मुकदमे में अब्दुल्ला आजम के साथ उनके पिता आजम और मां तंजीन फातिम को भी जेल जाना पड़ा। हालांकि, 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में स्वार सीट से वह दोबारा जीते थे। इस बार सरकारी कार्य में बाधा डालने के एक मुकदमे में उन्हें फिर सजा हुई और उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी।
अब पढ़िए आजम खान के राजनीतिक पतन की कहानी…
उत्तर प्रदेश में आजम खान के सियासी रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह रामपुर सीट से ही 10 बार विधायक और एक बार सांसद रहे। उनकी पत्नी तंजीन फातिमा भी विधायक बनीं और बेटा अब्दुल्ला आजम दो बार विधायक बने।
सपा सरकार में आजम का जलवा किसी CM से कम नहीं था। स्टेट प्लेन उन्हें रामपुर तक सिर्फ ड्रॉप करने के लिए जाया करता था। ऐसा माना जाता था कि प्रदेश की आधी सरकार रामपुर से ही चलती है। आजम के इस जलवे पर साल 2017 से ग्रहण लगना शुरू हो गया।
“इन कलक्टर-फलक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्ये हैं”
2019 में लोकसभा में आजम खान सपा के स्टार प्रचारक के रूप में रामपुर में चुनाव प्रचार कर रहे थे। इसी बीच चुनावी रैली में सुर्खियां बटोरने और अपनी ताकत दिखाने के लिए आजम ने ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ एक बड़ा डायलॉग मारा। उन्होंने कहा, “इन कलक्टर-फलक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्ये हैं। अल्लाह ने चाहा तो चुनाव बाद इन्हीं से जूते साफ कराऊंगा।”
यही डायलॉग आजम के लिए नासूर बन गया। इस बयानबाजी के बाद से ही आजम और उनके परिवार के खिलाफ मुकदमों का दौर शुरू हो गया। पहले आजम को जेल जाना पड़ा। फिर उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा को भी जेल हुई।
जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन से शुरू हुआ था शिकायतों का दौर
जब आजम ने रामपुर के अफसरों से जूते साफ करवाने वाला डायलॉग मारा था, उन दिनों वहां के डीएम आंजनेय कुमार थे। उसी दौरान कुछ किसानों ने जौहर यूनिवर्सिटी में गलत तरीके से जमीन लेने की शिकायत आजम खान के खिलाफ की। डीएम ने उस पर जांच के आदेश दिए और धीरे-धीरे आजम पर करीब 105 मुकदमे दर्ज हो गए।