कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा की राधा रानी पर टिप्पणी से सीहोर से मथुरा तक हंगामा मचा। उन्होंने बरसाना के मंदिर में नाक रगड़कर माफी मांगी। ये मसला अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ है कि अब निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि कुमारस्वामी की भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र पर टिप्पणी सामने आई है।
इसका वीडियो सामने आने के बाद उज्जैन के संतों ने कुमारस्वामी पर प्रतिबंध लगाने और महामंडलेश्वर पद से हटाने की मांग की है। राजस्थान के महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि कुमारस्वामी गुरुदेव के नाम से जाने जाते हैं।
वायरल वीडियो में वे कहते दिख रहे हैं- ‘चरित्रहीन कौन है? भगवान कृष्ण। 1 शादी कर ली, 2 कर ली, 15 कर ली, 16 कर लो… बहुत है, कितनी कर ली? 16000…ये कोई चरित्र है।’
महामंडलेश्वर पद से हटाने की मांग
उज्जैन के संत महामंडलेश्वर सुमनानंद ने कहा, ‘सनातन क्षेत्र में कार्य करने वाले ही सनातन के विपरीत बयान दे रहे हैं। ब्रह्मर्षि कुमारस्वामी 25- 30 साल से धर्म के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि वे निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं और भगवान कृष्ण को चरित्रहीन कह रहे हैं। मैंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष को पत्र लिखा है कि चारों कुंभ में इनका आना निषेध करें। इनकी महामंडलेश्वरी खत्म करना चाहिए।’
महामंडलेश्वर सुमनानंद इससे पहले कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करवा चुके हैं।
अनुयायी बोले- वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई
कुमारस्वामी के अनुयायियों का कहना है कि यह 2022 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर दिए गए प्रवचन का वीडियो है। ओरिजनल वीडियो में काट-छांट की गई है। उनके गुरु भगवान श्री कृष्ण के भक्त हैं। वे सनातन धर्म को मानने वाले हैं।
हिमांगी सखी वृंदावन पहुंचकर जता चुकीं विरोध
किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर हिमांगी सखी भी ब्रह्मर्षि कुमारस्वामी के बयान से नाराज हैं। एक हफ्ते पहले 26 जून को उन्होंने वृंदावन पहुंचकर विरोध जताया। वृंदावन के नगर निगम चौराहे के पास पुतला जलाने का प्रयास भी किया। इतने में दिल्ली से कुमारस्वामी के अनुयायी आ गए। उन्होंने पुतला छीन लिया। हिमांगी सखी ने कहा, ‘हम भगवान कृष्ण की सखियां हैं। इस तरह के बयान देने वालों का विरोध करती हैं।’
प्रदीप मिश्रा के इस बयान पर विवाद
पं. प्रदीप मिश्रा ने अपने प्रवचन में कहा था- राधा के पति का नाम अनय घोष, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था। राधा जी का विवाह छाता में हुआ था। राधा जी बरसाना की नहीं, रावल की रहने वाली थीं। बरसाना में तो राधा जी के पिता की कचहरी थी, जहां वह सालभर में एक बार आती थीं।’