Headlines

पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा का दूसरा दिन:सुभद्रा और बलभद्र के बाद जगन्नाथ जी का रथ भी आगे बढ़ा, आज तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे

53 साल बाद इस बार पुरी की रथयात्रा दो दिनों की है। सोमवार 8 जुलाई को यात्रा के दूसरे दिन मंगला आरती और भोग के बाद यात्रा दोबारा शुरू हो गई है। कल (रविवार) यात्रा का पहला दिन था। शाम 5 बजे के बाद शुरू हुई रथयात्रा सूर्यास्त के ही साथ रोक दी गई थी, भगवान जगन्नाथ का रथ सिर्फ 5 मीटर ही आगे बढ़ा था।

जगन्नाथ मंदिर के पंचांगकर्ता डॉ. ज्योति प्रसाद के मुताबिक, इस साल आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में तिथियां घट गईं। इस कारण यात्रा दो दिन की है। इससे पहले 1971 में भी ऐसा ही हुआ था। सूर्यास्त के बाद रथ नहीं हांके जाते, इसलिए रविवार की शाम रथ रास्ते में ही रोक दिए गए थे। आज यात्रा गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएगी।

पहले दिन 5 मीटर ही आगे बढ़ा भगवान जगन्नाथ का रथ

रथयात्रा के पहले दिन दिन ढलने से ठीक पहले जगन्नाथ का रथ खींचा और सिर्फ 5 मीटर आगे बढ़ने के बाद रुक गया, क्योंकि सूर्यास्त के बाद रथ आगे नहीं बढ़ते हैं।

भीड़ में घबराहट से एक श्रद्धालु की मौत

यात्रा 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पंहुचे हैं। भीड़ में घबराहट की वजह से एक श्रद्धालु की मौत हो गई और भगदड़ से कई लोग घायल भी हुए। घायलों को इलाज के लिए पुरी के जिला चिकित्सालय ले जाया गया। मृतक की पहचान नहीं हो सकी है। सीएम मोहन चरण माझी ने मृतक के परिजन को 4 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया है।

आषाढ़ शुक्ल दशमी तक मौसी के यहां रहेंगे भगवान

आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तक भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा गुंडिचा मंदिर में अपनी मौसी के यहां रहते हैं। दशमी (16 जुलाई) को तीनों रथ पुरी के मुख्य मंदिर लौट आएंगे। लौटने की यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।

ये भी पढ़ें-

1200 साल पुरानी रथयात्रा: 865 पेड़ों की लकड़ियां, 150 से ज्यादा कारीगर और दो महीनों में तैयार होते हैं रथ

पुरी में रथयात्रा निकल रही है। रथयात्रा किस साल से शुरू हुई, इस बार में पुख्ता जानकारी कहीं नहीं है। पुराणों के मुताबिक ये धार्मिक परंपरा सतयुग से चली आ रही है।

स्कंद पुराण के मुताबिक द्वापर युग से पहले सिर्फ भगवान विष्णु की रथ यात्रा होती थी। उन्हें नीलमाधव नाम से पूजा जाता था। द्वापर युग के बाद श्रीकृष्ण, बलभद्र और सुभद्रा के रथ शामिल हुए। वहीं, इतिहासकार और लेखकों के मुताबिक रथयात्रा 8 वीं शताब्दी में शुरू हुई। इसे जानने की कोशिश करते हैं… पूरी खबर पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Budget 2024