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बॉर्डर पर तैनात फौजी को बनाया हाथरस सत्संग का आयोजक:78 आरोपियों में 64 के फोन बंद; अफसरों ने खुद को दी क्लीनचिट

ग्राउंड रिपोर्ट

बॉर्डर पर तैनात फौजी को बनाया हाथरस सत्संग का आयोजक:78 आरोपियों में 64 के फोन बंद; अफसरों ने खुद को दी

हाथरस में मची भगदड़ को एक हफ्ता बीत गया। कार्रवाई के नाम पर 22 के खिलाफ FIR लिखी गई। 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें 3 ऐसे हैं, जो सत्संग के आयोजनकर्ता की लिस्ट में भी नहीं हैं।

पुलिस और प्रशासन के किसी भी अफसर को घटना का जिम्मेदार मानकर कार्रवाई नहीं की गई। यानी पुलिस और प्रशासन ने खुद को क्लीन चिट दे दी। न ही अब तक भोले बाबा को बुलाकर पूछताछ की गई।

दैनिक भास्कर टीम ने सत्संग से जुड़े हर व्यक्ति से बात करने की कोशिश की। पुलिस और प्रशासन के अफसरों की जवाबदेही को समझा। जिन्हें गिरफ्तार किया गया, उनकी भूमिका जानी।

इस रिपोर्ट में पढ़िए पूरी पड़ताल…

सत्संग के 78 आयोजक, इनमें 30 पति-पत्नी
2 जुलाई को सिकंदराराऊ के फुलरई गांव में सत्संग हुआ। इसकी तैयारी एक महीने पहले शुरू हो गई थी। 78 आयोजनकर्ता बने। इन सबका नाम और नंबर सत्संग स्थल पर लगा दिया गया। करीब साढ़े 5 लाख रुपए खर्च कर मंच, पंडाल और पूरे मैदान में बल्लियां लगाई गईं। 78 आयोजकों में 30 ऐसे थे, जो पति-पत्नी हैं।

हादसे के बाद सबसे पहले सत्संग के मुख्य आयोजनकर्ता इंजीनियर देव प्रकाश मधुकर को आरोपी बनाया गया। गिरफ्तारी नहीं होने पर 1 लाख का इनाम घोषित किया गया। 4 जुलाई को मधुकर को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। मधुकर की कॉलोनी से ही मुकेश कुमार और मेघ सिंह को भी गिरफ्तार किया गया।

कचौरा से मंजू यादव और मंजू देवी को गिरफ्तार किया गया। मैनपुरी जिले से 63 साल के राम प्रकाश शाक्य और राम लड़ैते यादव को गिरफ्तार किया गया। फिरोजाबाद के शिकोहाबाद से उपेंद्र सिंह यादव को गिरफ्तार किया गया। राम लड़ैते, राम प्रकाश और उपेंद्र का नाम आयोजनकर्ताओं की लिस्ट में भी नहीं है।

ये मंजू देवी की सास सावित्री देवी हैं। मंजू देवी की गिरफ्तारी के बाद उनके तीन बच्चे अब इन्हीं के हवाले हैं। इसमें एक बच्चा सिर्फ 6 महीने का है।

64 के नंबर बंद, दो ने कहा- हमने 15 हजार दिए थे
हमने गिरफ्तार 8 लोगों को छोड़कर 70 आयोजनकर्ताओं को फोन मिलाया। हमारे पास उनके लिए तीन सवाल थे।

पहला: आप अभी कहां हैं?

दूसरा: आपके ऊपर आयोजन की जिम्मेदारी थी, तो इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ?

तीसरा: क्या आपसे पुलिस ने पूछताछ की?

इन तीन सवालों के साथ हमने फोन मिलाना शुरू किया। आयोजनकर्ताओं की लिस्ट में शामिल शुरुआती 30 नंबर बंद मिले। 31वें नंबर पर मुकेश कुमार का फोन उठा लेकिन, एक महिला ने ‘रॉन्ग नंबर’ कहते हुए गुस्से में फोन काट दिया। दोबारा फोन नहीं उठाया। 36वें नंबर पर जुगेंद्र सिंह का नाम था। हमने फोन करके पत्रकार बताया, तो उन्होंने तुरंत फोन काट दिया। इसके बाद नहीं उठाया।

ये उन 78 आयोजनकर्ताओं की लिस्ट है, जिसके आधार पर पुलिस गिरफ्तारियां कर रही है।

पंजाब में तैनात फौजी ने दिए 15 हजार, बनाया आयोजनकर्ता
आयोजनकर्ताओं की लिस्ट में 40वें नंबर पर मोहित कुमार का नाम दर्ज है। पेशे से फौजी हैं। उन्होंने फोन उठाया। कहा- हम BSF में हैं और इस वक्त पंजाब में हैं।

सिकंदराराऊ सत्संग के लिए मुझसे मदद मांगी गई थी। हमने 15 हजार रुपए दिए थे। मम्मी-पापा सत्संग में जाते थे, लेकिन सिकंदराराऊ में नहीं गए थे।

21 जून को मेरी छुट्‌टी खत्म हो गई थी, तो मैं ड्यूटी पर चला आया था। मेरे पास हादसे के बाद पुलिस का फोन आया, लेकिन जो सच था, मैंने बता दिया।

वह कहते हैं- मेरा परिवार बाबा से जुड़ा रहा है, लेकिन कभी ऐसा हादसा नहीं हुआ। अच्छा हुआ मेरा परिवार वहां नहीं गया था। नहीं तो उनके साथ अनहोनी हो सकती थी। सवाल किया कि इस हादसे का जिम्मेदार किसे मानते हैं? वह कहते हैं- मैं वहां नहीं था, कैसे बता सकता हूं।

बाबा की सेवा में दिए 15 हजार, पैरालिसिस अटैक होने की वजह से गए नहीं
लिस्ट में 48वें नंबर पर राम सेवक दीक्षित का नाम था। हमने फोन लगाया, तो उनकी पत्नी राधा रानी ने उठाया। वह कहती हैं- हम इस वक्त घर पर ही हैं।

हमारे पति 62 साल के हैं। उन्हें पिछले दिनों पैरालिसिस का अटैक आया था। वह अब बिस्तर पर ही हैं। समिति वालों ने बाबा के नाम पर सहयोग मांगा, तो हमने 15 हजार रुपए की मदद की थी। इसीलिए मेरे पति का नाम आयोजन लिस्ट में आ गया। अब तक तो पुलिस ने पूछताछ नहीं की, लेकिन हादसे के बाद डर तो है।

जिन 9 लोगों को पकड़ा, उनमें 3 तो आयोजक भी नहीं
पुलिस ने इस घटना के बाद अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें 9 लोग तो आयोजन समिति का हिस्सा थे, लेकिन 3 का नाम उस बोर्ड पर नहीं था।

ये मैनपुरी के राम प्रकाश शाक्य और राम लड़ैते यादव हैं। दोनों की उम्र करीब 63 साल है। भोले बाबा के ये दोनों सेवादार पीली वर्दी पहनकर सत्संग में खड़े रहते हैं। पुलिस ने इनके खिलाफ धारा 105 यानी गैर-इरादतन हत्या, 110, 126 (2) यानी जबरन बंधक बनाना, 223, 238 यानी अपराध के सबूतों और साक्ष्यों को मिटाना जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है।

इसके अलावा, फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद से सपा नेता उपेंद्र यादव को गिरफ्तार किया गया। उपेंद्र भोले बाबा से जुड़े हैं, लेकिन हाथरस के सत्संग में वह नहीं गए थे। आयोजक भी नहीं थे। उनके बेटे कहते हैं- पापा सपा से जुड़े हैं, इसलिए कार्रवाई हो रही। हम योगीजी से अपील करेंगे कि निष्पक्ष जांच हो और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो।

उपेंद्र यादव की गिरफ्तारी के बाद से पूरा परिवार परेशान है। उनके घर पर रिश्तेदारों का आना-जाना लगा है।

अब बड़ा सवाल ये क्या घटना के पीछे सिर्फ आयोजक ही जिम्मेदार हैं? भास्कर की पड़ताल में 5 और लोग जिम्मेदार दिखते हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई…

1- हाथरस डीएम ने परमिशन देने के बाद मॉनिटरिंग नहीं की
हाथरस के डीएम आशीष कुमार के पास आयोजक गए। बताया, सत्संग में 80 हजार लोग आएंगे। आयोजकों ने अपनी तैयारी बताई। डीएम ने परमिशन दे दी। एक बार भी मॉनिटरिंग नहीं की। सत्संग स्थल पर मुआयना करने नहीं पहुंचे। पार्किंग की कैसी व्यवस्था है, इसकी जांच नहीं की। किसी अधिकारी को भी जिम्मेदारी नहीं दी।

2- एसडीएम ने लोकल इंटेलिजेंस के इनपुट को हल्के में लिया
एसडीएम रविंद्र कुमार 2 जुलाई को सत्संग स्थल पर ही थे। उनके सामने भीड़ बढ़ती चली गई, लेकिन उन्होंने यह बात डीएम आशीष कुमार को नहीं बताई। वैकल्पिक रास्ते पर भी कोई काम नहीं हुआ। एक ही गेट से आना और जाना दोनों था। लोकल इंटेलिजेंस ने सूचना दी थी, भीड़ बढ़ने से दिक्कत होगी। लेकिन, एसडीएम ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

यह हाथरस हादसे के पहले की फोटो है। इसमें लाखों लोग दिखाई पड़ रहे हैं।

3- एसपी ने ढाई लाख की भीड़ के लिए लगाई एक थाने की पुलिस
एसपी निपुण अग्रवाल को यह पता था कि 80 हजार लोगों की परमिशन के बाद भी ज्यादा लोग आएंगे। इसके बावजूद मैनेज करने के लिए सिर्फ एक थाने की पुलिस तैनात की। लोकल इंटेलिजेंस ने फोर्स बढ़ाने की बात कही, लेकिन निपुण अग्रवाल ने नजरअंदाज कर दिया। खुद सत्संग स्थल पर जाकर मुआयना करना था, लेकिन नहीं गए।

यह हादसे के बाद की ड्रोन इमेज है। इसमें जूते चप्पल और बिखरे सामान दिख रहे हैं। दूसरी फोटो हादसे वाले दिन की है, जब परिजन इधर-उधर भटक रहे हैं।

4- सीओ ने अधिकारियों से फोर्स बढ़ाने की बात नहीं की
सीओ डॉ. आनंद कुमार सिर्फ एक थाने की फोर्स के साथ मौके पर खड़े थे। जब हादसा हुआ, तो उन्हें बहुत देर तक पता ही नहीं चल पाया कि क्या हुआ। भीड़ बढ़ने पर उन्हें सत्संग के आयोजनकर्ताओं से बात करनी थी, लेकिन किसी से कोई बात नहीं की।

5- इतनी बड़ी भीड़ के बावजूद एक भी एंबुलेंस मौके पर नहीं
इतने बड़े कार्यक्रम की जानकारी जिले के सीएमओ डॉ. मंजीत सिंह को भी थी। घटनास्थल पर न कोई एंबुलेंस तैनात थी, न ही स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती थी।

जब घटना घटी तो लोगों को टैंपो में भरकर सीएचसी सिकंदराराऊ ले जाया गया। वहां न बेड थे, न डॉक्टर और न ही लाइट की व्यवस्था। इसके चलते काफी देर बाद इलाज शुरू हुआ, तब तक ज्यादातर लोग मर चुके थे।

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