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जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 4 दिन में दोबारा खुला:कीमती सामान स्ट्रॉन्ग रूम में शिफ्ट होगा, अब तक 6 बॉक्स खजाना निकल चुका

जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 4 दिन में दोबारा खुला:कीमती सामान स्ट्रॉन्ग रूम में शिफ्ट होगा, अब तक 6 बॉक्स खजाना निकल चुका

2 घंटे पहले
रविवार (14 जुलाई) को जगन्नाथ मंदिर के आउटर रत्न भंडार के कीमती सामान को 6 बक्सों में शिफ्ट करके सील किया गया था।

ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार (खजाना) गुरुवार (18 जुलाई) को एक बार फिर से खोला गया है। इस दौरान इनर रत्न भंडार में मौजूद आभषूण और कीमती सामान को अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट किया जाएगा।

इससे पहले रविवार (14 जुलाई) को 46 साल बाद रत्न भंडार को खोला गया था, जिसमें आउटर रत्न भंडार का सामान 6 बक्सों में शिफ्ट करके सील किया गया था।

मंदिर प्रशासन ने सुबह 8 बजे से मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है। अधिकारियों के मुताबिक, भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के समक्ष प्रार्थना करने के बाद ओडिशा सरकार की ओर से गठित पर्यवेक्षी (सुपरविजन) कमेटी के सदस्यों ने 9 बजे मंदिर में प्रवेश किया। रत्न भंडार के खजाने को सुबह करीब 10 बजे खोला गया। अधिकारियों ने बताया कि यदि कीमती सामान को बाहर निकालने का काम आज भी पूरा नहीं हो पाता है तो तय मानक संचालन प्रक्रिया (SOP ) के तहत काम जारी रहेगा।

पुरी कलेक्टर बोले- केवल चुनिंदा व्यक्तियों को ही अंदर जाने की इजाजत
पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा कि केवल अधिकृत व्यक्तियों को पारंपरिक पोशाक के साथ रत्न भंडार में प्रवेश करने की अनुमति है। मंदिर में प्रवेश से पहले पर्यवेक्षी कमेटी के अध्यक्ष और उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस विश्वनाथ रथ ने बताया, हमने भगवान जगन्नाथ से खजाने के भीतरी कक्ष (इनर केबिन) में रखे सभी कीमती सामान को आसानी से बाहर निकालने का आशीर्वाद मांगा है।

4 दिन पहले 46 साल बाद खुला था मंदिर का खजाना
इससे पहले 14 जुलाई को 46 साल बाद जगन्नाथ मंदिर का खजाना खोला गया था। उस दिन रत्न भंडार के बाहरी कक्ष के आभूषण और कीमती सामान को स्ट्रांग रूम में शिफ्ट किया गया था। पुरी मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने बताया कि आउटर रत्न भंडार का सामान लकड़ी के 6 बक्सों में शिफ्ट करके सील कर दिया गया है, लेकिन इनर रत्न भंडार का सामान शिफ्ट नहीं किया जा सका।

जस्टिस रथ ने पुरी के राजा और गजपति महाराजा दिव्य सिंह देब से अनुरोध किया था कि वो रत्न भंडार में मौजूद रहे। साथ ही कीमती सामान को बाहर निकालने की प्रक्रिया की निगरानी करने करें। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की जा रही है।

इससे पहले 2018 में हुई थी रत्न भंडार खोलने की कोशिश
2018 में ओडिशा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को रत्न भंडार खोलने के लिए निर्देश दिए, लेकिन 4 अप्रैल 2018 को कोर्ट के आदेश पर जब 16 लोगों की टीम रत्न भंडार के चेंबर तक पहुंची तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा, क्योंकि ये दावा किया गया कि रत्न भंडार की चाबी खो गई है।

चाबी नहीं मिली तो हंगामा हुआ जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 4 जून 2018 को न्यायिक जांच के आदेश दिए। जांच कमेटी ने 29 नवंबर 2018 को चाबी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, लेकिन सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया और चाबी का कुछ पता नहीं चल सका।

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