आनंदपाल एनकाउंटर में पुलिस अफसरों पर चलेगा हत्या का केस:कोर्ट ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट को किया खारिज; गैंगस्टर की पत्नी ने किया था चैलेंज
गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाले 5 पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलेगा। कोर्ट ने इनके खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए हत्या की धारा 302 के तहत मुकदमा चलाने और जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया है।
एसीजेएम सीबीआई कोर्ट ने तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहट, तत्कालीन एडिशनल एसपी विद्या प्रकाश चौधरी, डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़, आरएसी हेड कॉन्स्टेबल कैलाश के विरुद्ध मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं।
आनंदपाल की पत्नी ने पेश किए कई गवाह
24 जून 2017 को चूरू के मालासर गांव में एसओजी ने आनंदपाल का एनकाउंटर किया था। एनकाउंटर के बाद से ही इस पर सवाल उठ रहे थे। एनकाउंटर को लेकर सीबीआई ने 2020 में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी, जिसे आनंदपाल की पत्नी राजकंवर ने चैलेंज किया। एसीजेएम कोर्ट में 2020 में प्रोटेस्ट पिटिशन दायर की। सुनवाई के दौरान कोर्ट में चार साल में राजकंवर की ओर से कई गवाह पेश किए गए।
राजकंवर के वकील भंवर सिंह और त्रिभुवन सिंह राठौड़ ने बताया- यह एनकाउंटर नहीं था और छत पर आनंदपाल को नजदीक से एक के बाद एक गोली मारी गई। गोली बहुत नजदीक से थी, इसकी पुष्टि डॉक्टर ने भी की है। कोर्ट में कई गवाहों को पेश किया गया। उनके आधार पर एसीजेएम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया है। कोर्ट ने राजकंवर की ओर से गवाहों की सूची भी 16 अक्टूबर से पहले पेश करने के आदेश दिए हैं।
जीवनराम के मर्डर के बाद फरार हो गया था आनंदपाल
आईपीएस दिनेश एमएन के अनुसार, साल 2006 में जीवनराम गोधारा मर्डर और गोपाल फोगाट मर्डर केस के आरोप आनंदपाल और बलवीर बानोड़ा पर लगे थे। आनंदपाल और बलवीर, दोनों साथ काम करते थे। आनंदपाल और जीवनराम की आपसी रंजिश थी। जीवनराम का मर्डर करने के बाद आनंदपाल फरार हो गया था
आनंदपाल और उसके साथियों ने नानूराम नाम के शख्स का मर्डर कर शव एसिड से जला दिया था। नानूराम मर्डर के बाद आनंदपाल फरार हो गया था। करीब 6 साल बाद 2012 में उसको गिरफ्तार किया गया था।
राजू ठेहट पर चलाई गोली, बदले में आनंदपाल गैंग पर फायरिंग
दिनेश एमएन के मुताबिक, साल 2014 में जनवरी में सीकर जेल में बंद राजू ठेहट पर आनंदपाल के किसी साथी ने गोली चला दी थी। गोली उसके कंधे में जाकर रुक गई। राजू बच गया। इसके बाद उसने बदला लेने का प्लान बनाया।
आनंदपाल की पूरी गैंग उस वक्त बीकानेर जेल में बंद थी। राजू ठेहट गैंग के दो आदमी बीकानेर जेल में हथियार लेकर गए और उन्होंने आनंदपाल गैंग पर फायरिंग कर दी। एक गोली आनंदपाल और एक बलवीर बानोड़ा को लगी। इस घटना के बाद आनंदपाल गैंग ने राजू ठेहट गैंग के दो लोगों को मार दिया।
राजू ठेहट गैंग के हमले के बाद आनंदपाल को अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। यहां आनंदपाल गैंग ने प्लान बनाना शुरू किया। पुलिस ने आनंदपाल के साथियों से पूछताछ की। पता चला कि आनंदपाल गैंग के तीन मकसद- राजू ठेहट से बदला लेना, गैंग बनाकर पैसा कमाना और गवाहों को मारकर केस में बरी होना हैं।
2015 में नानूराम मर्डर केस से हो गया था बरी
दिनेश एमएन के अनुसार, 3 सितंबर 2015 को आनंदपाल नानूराम मर्डर केस में बरी हुआ था। उसने बरी होने की खुशी में सबको मिठाई खिलाई। मिठाई में जहर मिला था। उसने गाड़ी के ड्राइवर और शक्ति सिंह नाम के कमांडो को छोड़कर सबको मिठाई खिलाई। सब बेहोश हो गए। इसके बाद दो गाड़ियों में आए आनंदपाल की गैंग के लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी। एक गोली शक्ति के पैर पर भी लगी। शायद ये दिखाने के लिए थी कि शक्ति उनसे मिला हुआ नहीं है। शक्ति आनंदपाल गैंग के लिए काम कर रहा था।
उस दिन आनंदपाल गैंग ने पुलिस की एके47 के साथ-साथ कई और हथियार लूट लिए। मार्च 2016 को आनंदपाल और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई। जुलाई 2016 में उसने एक मुठभेड़ में एसएचओ को गोली मारकर घायल कर दिया था।
आनंदपाल की कई प्रॉपर्टी जब्त की
दिनेश के अनुसार, एसओजी में आते ही मैंने आनंदपाल को पकड़ने पर फोकस किया। जिला पुलिस के साथ मिलकर आनंदपाल के बाकी केसों को फॉलो करना शुरू किया। कई एसपी और एएसपी ने भी इसमें हमारी मदद की। सरकार की मदद से आनंदपाल की कई प्रॉपर्टी को सील करवाया। आनंदपाल के कई साथियों को हमने गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। 7-8 महीने में कई प्रॉपर्टी जब्त कर ली थी।
एक मुखबिर के जरिये सुरिंदर सिंह नाम के शख्स का पता चला। आनंदपाल गैंग के लोग सुरिंदर के घर आते थे। सुरिंदर से पूछताछ की तो वह आनंदपाल को पकड़वाने के लिए तैयार हो गया।
भाइयों ने बताई थी लोकेशन, फिर हुआ आनंदपाल का खात्मा
इस बीच एएसपी संजीव भटनागर को आनंदपाल गैंग के बारे में सूचना मिली कि ये लोग फिल्म देखने जाते थे। हमने सिनेमाघर के बाहर पुलिस तैनात कर दी। एक फोन कॉल से आनंदपाल के भाई के बारे में जानकारी मिली। पुलिस ने दोनों को ट्रेस कर गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद इन्हीं दोनों भाइयों विक्की उर्फ रूपेश और देवेंद्र उर्फ गट्टू ने आनंदपाल की लोकेशन के बारे में बताया।
आनंदपाल के भाई गट्टू ने बताया था कि आप लोग तैयार रहना, वह सरेंडर नहीं करेगा। 24 जून 2017 को टीम के लोकेशन चूरू के मालासर गांव में पहुंचते ही आनंदपाल ने घर की छत से फायरिंग कर दी। एनकाउंटर लगभग 45 मिनट चला।
कमांडो सोहन सिंह ने उसे हथियार रीलोड करते सुन लिया था। तभी सोहन ने आनंदपाल पर अटैक किया। दोनों में आमने-सामने फायरिंग हुई। फायरिंग में आनंदपाल की मौत हो गई। सोहन सिंह को भी गोली लगी थी। वह चार महीने तक अस्पताल में रहे।
9 पुलिसकर्मियों को विशेष पदोन्नति
करीब तीन साल पहले आनंदपाल एनकाउंटर केस में शामिल 9 पुलिसकर्मियों को तत्कालीन गहलोत सरकार ने विशेष पदोन्नति दी थी। इसमें आनंदपाल सिंह को गोली मारने वाले स्पेशल कमांडो सोहन सिंह, तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहठ, एसओजी में एडिशनल एसपी करण शर्मा, एडिशनल एसपी विद्याप्रकाश चौधरी, डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़, आरएसी के हेड कॉन्स्टेबल कैलाश और चूरू में पुलिस कॉन्टेबल हरमपाल शामिल थे।