नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने पीएम से 18 अगस्त तक जापान के रेंकोजी से नेताजी के पार्थिव अवशेषों को वापस लाने की अपील की।
न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, मैं चाहता हूं कि सरकार नेताजी की मौत से जुड़ी रिपोर्ट्स के आधार पर अंतिम बयान भी जारी करे, ताकि उनके बारे में झूठी बातों पर विराम लग सके।
चंद्र कुमार बोस ने मोदी सरकार से नेताजी की मौत की जांच से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की पहल की। उन्होंने कहा कि 10 बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच होने के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि नेताजी 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक हवाई दुर्घटना में मारे गए थे। इसलिए यह जरूरी है कि भारत सरकार अंतिम बयान जारी करे, ताकि झूठी बातों और कहानियों पर विराम लग सके।
नेताजी के अवशेष भारत की जमीन पर आने चाहिए- चंद्र बोस
पश्चिम बंगाल भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष चंद्र कुमार ने कहा कि नेताजी आजादी के बाद भारत लौटना चाहते थे। गोपनीय फाइलों और दस्तावेजों ने यह साफ कर दिया है कि नेताजी की मौत हवाई दुर्घटना में हुई थी।
बोस ने कहा कि यह बेहद अपमानजनक है कि नेताजी के अवशेष रेंकोजी मंदिर में रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि हम पिछले साढ़े तीन साल से पीएम को चिट्ठी लिख रहे हैं कि भारत के मुक्तिदाता को सम्मान देने के लिए उनके अवशेष भारत की जमीन पर आने चाहिए।
हिंदू परंपरा से अंतिम संस्कार करना चाहती हैं नेताजी की बेटी
चंद्र कुमार ने बताया कि नेताजी की बेटी अनीता बोस फाफ हिंदू परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार करना चाहती हैं। मुझे लगता है कि भारत सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए। अगर उन्हें लगता है कि ये अवशेष नेताजी के नहीं हैं, तो उन्हें रेंकोजी मंदिर रखरखाव नहीं किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि पीएम इसका जवाब जरूर देंगे।
नेताजी के बड़े भाई के पोते है चंद्र बोस
चंद्र बोस नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के दूसरे बेटे अमिय नाथ के छोटे बेटे हैं। वे टाटा स्टील में नौकरी करते थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने के भाजपा सरकार के फैसले पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की खूब तारीफ की थी। इसके बाद 2016 में अमित शाह ने उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी।
बीजेपी के टिकट पर बोस 2016 का विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। 2016 में उन्हें पश्चिम बंगाल बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन 2020 में उनसे ये पद वापस ले लिया गया। चंद्र बोस ने बीजेपी की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए आरोप लगाया था कि पार्टी ने वादा किया था कि वह नेताजी की विचारधारा को आगे बढ़ाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया।