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अखिलेश ने चला ब्राह्मण कार्ड:81 साल के माता प्रसाद पांडेय को बनाया नेता प्रतिपक्ष; केशव बोले- दलितों को धोखा दिया

अखिलेश ने चला ब्राह्मण कार्ड:81 साल के माता प्रसाद पांडेय को बनाया नेता प्रतिपक्ष; केशव बोले- दलितों को धोखा दिया

उत्तर प्रदेश57 मिनट पहले
माता प्रसाद पांडेय 7 बार के विधायक हैं। वह दो बार विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। यूपी में विधानसभा सत्र शुरू होने के ठीक 19 घंटे पहले अखिलेश ने सबको चौंका दिया। अखिलेश ने पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के बाद अब ब्राह्मण कार्ड चला है।

81 साल के माता प्रसाद पांडेय विधानसभा में सत्ता पक्ष का मुकाबला करेंगे। वह सिद्धार्थनगर की इटवा सीट से विधायक हैं। 7 बार विधायक रह चुके हैं। दो बार विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं। अखिलेश के कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था।

वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा- सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पिछड़ों-दलितों को धोखा दिया है। सपा के PDA का मतलब बहुत बड़ा धोखा है। देर शाम माता प्रसाद ने केशव को जवाब दिया। उन्होंने कहा-आप घबराइए नहीं, हम पीडीए की लड़ाई लड़ते रहेंगे। सबको हक मिलेगा। आप अपना स्टूल संभालिए, क्योंकि वो भी कोई छीनना चाहता है। बाकी मानसून ऑफर अभी भी है।

अखिलेश ने अमरोहा सीट से विधायक महबूब अली को अधिष्ठाता मंडल, मुरादाबाद की कांठ सीट से विधायक कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और प्रतापगढ़ से विधायक राकेश कुमार उर्फ आरके वर्मा को विधानसभा का उप-सचेतक बनाया है।

अखिलेश यादव के साथ माता प्रसाद पांडेय। साथ हैं आजमगढ़ से विधायक बलराम यादव और सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी।

माता प्रसाद को क्यों बनाया गया नेता प्रतिपक्ष

  1. माता प्रसाद सपा के सबसे सीनियर लीडर हैं। शिवपाल के नाम पर अखिलेश सहमत नहीं थे। ऐसे में माता प्रसाद वह नाम है, जिनका पार्टी के कैडर में कोई विरोध नहीं है।
  2. माता प्रसाद 7 बार विधायक रह चुके हैं। मुलायम और अखिलेश सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में वह सीएम योगी और भाजपा के 255 विधायकों का मुकाबला कर सकते हैं।
  3. शिवपाल खुद नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे। ऐसे में किसी और नेता को बनाया जाता तो वह शिवपाल के कद के आगे कमजोर पड़ सकता था। माता प्रसाद शिवपाल के भी करीबी रहे हैं।
  4. अखिलेश लगातार पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की राजनीति कर रहे हैं। ऐसे में माता प्रसाद पांडेय के माध्यम से वह अगड़ी जाति के वोट बैंक पर भी सेंध लगाना चाहते हैं।

माता प्रसाद बोले- मैं तो मीटिंग के बाद घर चला गया था, वहीं पता चला
नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद माता प्रसाद पांडेय ने बताया- साथियों से बात करके विधानसभा की रूपरेखा तय की जाएगी। अचानक से उनका नाम सामने क्यों आया? इस सवाल पर उन्होंने कहा- आज हम अखिलेश ने मिले थे। उन्होंने हमारी राय पूछी थी। हमने कहा, जो जिम्मेदारी तय करेंगे वह निभाएंगे। इसके बाद हम घर चले गए। बाद में उन्होंने बताया कि आपको नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है।

बता दें, रायबरेली के ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय के बगावत करने के बाद सपा के बाद कोई बड़ा ब्राह्मण चेहरा नहीं था। ऐसे में अखिलेश ने माता प्रसाद पांडेय को अहम पद देकर सपा को मुस्लिम-यादव से आगे ले जाने की कोशिश की है।

माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर सिद्धार्थनगर में जश्न

सिद्धार्थनगर में सपा कार्यकर्ताओं ने इटवा चौराहे पर एक-दूसरे को मिठाई खिलाई।
सपा कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर खुशी का इजहार किया।

कई राउंड की मीटिंग के बाद लगी मुहर
अखिलेश यादव ने रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई। इसमें नेता प्रतिपक्ष का नाम तय होना था। अखिलेश सुबह 11 बजे बैठक में पहुंचे। विधायकों ने सपा प्रमुख को नेता प्रतिपक्ष पर अंतिम फैसला लेने को कहा। हालांकि, ज्यादातर विधायक शिवपाल के नाम पर सहमत थे, लेकिन परिवार के आरोपों के चलते अखिलेश चाचा को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाना चाहते थे।

इसके बाद दो नाम सामने आए। इंद्रजीत सरोज और तूफानी सरोज। इंद्रजीत सरोज के नाम पर इसलिए सहमति नहीं बन पाई क्योंकि वह 2018 में ही बसपा छोड़कर सपा में आए थे। सपा के सीनियर लीडर उनके नाम पर सहमत नहीं हुए। उनका कहना था कि इंद्रजीत बसपा से आए हैं, इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं में गलत मैसेज जाएगा।

वहीं, तूफानी सरोज को लेकर यह बात सामने आई कि वह विधानसभा में सत्ता पक्ष का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। वजह यह कि तूफानी सरोज शांत स्वभाव के नेता माने जाते हैं। लाइमलाइट में नहीं रहते।

पहली मीटिंग के बाद शिवपाल यादव सपा मुख्यालय से चले गए
अखिलेश ने पहले सपा के सीनियर नेताओं के साथ मीटिंग की, लेकिन नाम नहीं तय हो पाया। शिवपाल यादव भी सपा मुख्यालय से चले गए। इसके बाद अखिलेश ने चुनिंदा नेताओं के साथ फिर बैठक की। उसमें माता प्रसाद का नाम पर मुहर लगी।

पार्टी नेताओं ने बताया- माता प्रसाद सीनियर लीडर हैं। वह लंबे वक्त से सपा के साथ हैं। ऐसे में पार्टी कैडर में उनका विरोध नहीं होगा। खासकर शिवपाल यादव भी विरोध नहीं करेंगे। दूसरी अहम बात यह कि माता प्रसाद पांडेय दो बार विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्हें विधानसभा चलाने का लंबा अनुभव है। हालांकि उनकी उम्र 81 साल है। ऐसे में वह सत्ता पक्ष का मुकाबला कैसे कर पाएंगे, यह देखना होगा।

इटवा सीट से 7 बार विधायक रहे चुके हैं पांडेय
माता प्रसाद पांडेय सिद्धार्थनगर की इटवा विधानसभा सीट से 7 बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने अपना पहला चुनाव 1980 में जनता पार्टी से लड़कर जीत हासिल की थी। 1985 में लोकदल से विधायक बने। 1989 के चुनाव में जनता दल से जीत हासिल की।

1991 और 1996 में विधानसभा चुनाव में हार गए। 2002, 2007 और 2012 में सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2017 में भाजपा प्रत्याशी डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी से चुनाव हार गए थे। 2022 में योगी सरकार में मंत्री रहे बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी को हराकर 7वीं बार विधायक बने।

एक बेटी में लंदन की कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट, दूसरी लखनऊ में प्रोफेसर
माता प्रसाद पांडे के परिवार में पत्नी के अलावा 5 बेटियां और 1 बेटा है। 4 बेटियों और बेटे की शादी हो चुकी है। बेटियों के नाम विमला, उर्मिला, प्रमिला, सीमा और प्रिया पांडेय है। बेटे का नाम सौरभ पांडेय है। प्रमिला लखनऊ के KKV डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर हैं। प्रिया पांडेय जीपी मॉर्गन चेस लंदन में वाइस प्रेसिडेंट हैं। बेटी सीमा और बेटा सौरभ दिव्यांग हैं। सौरभ की पत्नी विजय लक्ष्मी पांडेय गांव की प्रधान हैं।

क्या है माता प्रसाद की वर्किंग स्टाइल

  • बेहद शांत स्वभाव के माता प्रसाद पांडेय अपनी शालीनता के लिए जाने जाते हैं।
  • वह अपनी बात बहुत विनम्रता के साथ रखते हैं।
  • विधानसभा में जब वह नेता प्रतिपक्ष थे, उस समय न सिर्फ विपक्ष के विधायकों को, बल्कि अपनी पार्टी के विधायकों को भी डांट देते थे।
  • एक अभिभावक या टीचर की तरह विधानसभा के नियमों के बारे में बताते थे।

पहले देते थे संरक्षण, अब मांगेंगे
2012 से 2017 की विधानसभा के दौरान माता प्रसाद पांडेय विधानसभा अध्यक्ष थे। मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना भाजपा के सदन में उपनेता थे। कई मौके ऐसे भी आए, जब विधानसभा में सतीश महाना माता प्रसाद से संरक्षण मांगते नजर आए। लेकिन, अब सतीश महाना विधानसभा अध्यक्ष हैं और माता प्रसाद नेता विरोधी दल बन गए हैं। ऐसे में अब मौका माता प्रसाद पांडेय के पास होगा, जब अपने दल की सुनवाई के लिए वह विधानसभा अध्यक्ष से संरक्षण की मांग करेंगे।

मुलायम के करीबी रहे हैं मुख्य सचेतक कमाल अख्तर

सांसद बनने के बाद अखिलेश यादव ने छोड़ा था नेता प्रतिपक्ष का पद
इससे पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद अखिलेश यादव खुद अपने पास रखे थे। अखिलेश मैनपुरी की करहल सीट से विधायक थे। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने कन्नौज से जीत हासिल की। इसके बाद वह दिल्ली की राजनीति में उतर गए।

अखिलेश ने करहल सीट से इस्तीफा देने के साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद भी छोड़ दिया था। उसके बाद ये अटकल लगाई गई कि वह अपने चाचा शिवपाल यादव को नेता प्रतिपक्ष बना सकते हैं। लेकिन, अखिलेश ने इस बार ब्राह्मण कार्ड चल दिया।

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