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दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा:CBI ने कहा- दिल्ली सीएम शराब घोटाले के असली सूत्रधार, गिरफ्तारी के बिना जांच संभव नहीं थी

ED ने शराब नीति केस में 21 मार्च को और CBI ने 26 जून को अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट किया था।

दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार (29 जुलाई) को अरविंद केजरीवाल की CBI की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका और अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई हुई।

जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने आज भी इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है। CBI की ओर से विशेष वकील डीपी सिंह पैरवी की। वहीं, केजरीवाल की ओर से एन हरिहरन और अभिषेक मनु सिंघवी दलीलें रखीं।

CBI ने कहा कि केजरीवाल ही दिल्ली शराब नीति केस के असली सूत्रधार हैं। उनकी गिरफ्तारी के बिना मामले की जांच नहीं की जा सकती थी। एक महीने के भीतर हमने चार्जशीट दाखिल कर दी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 जुलाई की सुनवाई में भी केजरीवाल की गिरफ्तारी और अंतरिम जमानत की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। वहीं, CBI ने केजरीवाल के खिलाफ स्पेशल CBI कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है।

CBI ने केजरीवाल को 26 जून को अरेस्ट किया था। कोर्ट ने केजरीवाल के अलावा मनीष सिसोदिया, BRS नेता के कविता समेत बाकी आरोपियों की न्यायिक हिरासत भी 31 जुलाई तक बढ़ाई है।

कोर्ट रूम लाइव…

CBI की 9 दलीलें…

  • केजरीवाल की गिरफ्तारी के बिना जांच पूरी नहीं हो सकती थी। एक महीने के भीतर हमने चार्जशीट दाखिल कर दी। इसका मतलब है कि हमारी जांच बहुत आगे बढ़ चुकी थी। पिछले एक महीने में जितने सबूत आए हैं, वे उसी तरह के हैं। मैं ऐसे तथ्य दिखाउंगा जो यह दिखाते हैं कि वे पूरे आबकारी घोटाले के सूत्रधार हैं।
  • केजरीवाल की गिरफ्तारी वैध थी या नहीं, इसका परीक्षण पहले ट्रायल कोर्ट में किया जाता है। उसके बाद यह जमानत के लिए आधार बनता है। यह बात जांच के दायरे में नहीं आती कि गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली एक याचिका है और जमानत के लिए दूसरी। एक साथ दो कार्यवाही नहीं चल सकती।
  • CBI में एजेंसी निर्णय लेती है और जब निर्णय लिया जाता है तो पूरे सबूत के साथ। अदालत कहती है कि कारण उचित हैं। मैं तीन बातों पर हूं। वे कहते हैं कि अब चार्जशीट दाखिल हो गई है, तो क्या बचा है। सिर्फ चार्जशीट दाखिल होने से उन्हें यह अधिकार नहीं मिल जाता कि उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।
  • ऐसा कोई आदेश नहीं हैं, जिसमें उन्हें जमानत पर रिहा किया गया हो। वे सिर्फ अंतरिम आदेश हैं। पहला आदेश चुनावों के लिए था, और दूसरा यह कि इसे बढ़ाया जा सकता है या बड़ी बेंच उलट सकती है। ED केस में जमानत पर रोक अभी भी जारी है। अगर हमने उनसे पहले ही पूछताछ की होती तो जांच प्रभावित होने की संभावना थी।
  • गवाहों को प्रभावित किया जा सकता था। वे कहते हैं कि CBI की गिरफ्तारी गलत है। आज 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है। 5 लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद सबूत मिले। उनकी अपनी पार्टी, कार्यकर्ता जवाब देने के लिए सामने आए। वे सरकारी गवाह या कुछ और नहीं हैं। यह सामने नहीं आया। पंजाब से सबूत हैं, यह सामने नहीं आया लेकिन अब आया है।
  • विजय नायर सचिवालय का हिस्सा हैं, वे मीडिया के प्रभारी हैं। विजय नायर सभी से मिलते हैं। मगुंटा रेड्डी उनसे उनके ऑफिस में मिलते हैं। के कविता उन्हें मिलने के लिए बुलाती हैं। वे हैदराबाद जाते हैं। मैं जो कुछ भी कह रहा हूं वह सबूतों पर आधारित है।
  • केजरीवाल कैबिनेट के मुखिया हैं। वे इस पर साइन करते हैं। वे ही इसे भेजते हैं। वे ही इसे एक दिन में जल्दबाजी में प्रसारित करवाते हैं। यह कोविड का समय है, लॉकडाउन था, दूसरा लॉकडाउन था। एक बार पैसा गायब हो जाने के बाद उसका पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन इस मामले में हमने ऐसा किया। यह पैसा गोवा जाता है। खर्च का निर्देश कौन देगा? हमारे पास सबूत हैं कि प्रत्येक उम्मीदवार को 90 लाख दिए जाने थे।
  • केजरीवाल ने बयान में यह भी कहा कि पैसे की चिंता मत करो, बस चुनाव लड़ो। ऐसा कहा जा सकता है कि ये केजरीवाल के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है। जब गवाहों ने ऐसा कहा है, तो पंजाब एपिसोड के तीन गवाहों और कोर्ट में दिए गए 164 के बयानों से साफ है। यह उनकी गिरफ्तारी के बाद ही संभव हुआ। वरना पंजाब के अधिकारी नहीं आते। जब पूरा मामला मीडिया में उछला तो सीएम ने मंत्रिपरिषद से पूर्वव्यापी मंजूरी ली, उससे पहले नहीं। इससे ज्यादा प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हो सकता।
  • चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। मैं और भी बहुत कुछ कह सकता था। यह वही कोर्ट है जहां बाकी चार्जशीट दाखिल की गई हैं। मैं कहूंगा कि कोर्ट के पास जांच के लिए और भी सबूत हैं, उसके पास चीजों को देखने का बेहतर नजरिया है।

सिंघवी: यह कुछ और नहीं बल्कि एक इंश्योरेंस गिरफ्तारी है। जब आप चाहते हैं, गिरफ्तार कर लेते हैं। जून में सीबीआई के गिरफ्तार किए जाने के बाद मुझसे कोई पूछताछ नहीं हुई है। क्या आपने ऐसा कोई मामला देखा है कि 2023 में सीबीआई मुझे बुलाती है। लेकिन मुझे समन नहीं भेजती और उसके बाद जून 2024 में मुझे गिरफ्तार कर लेती है। मेरे खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है और कोई बरामदगी भी नहीं हुई है।

सिंघवी: सूत्रधार शब्द का इस्तेमाल किया गया है। सीबीआई कविता लिख रही है। पहली बार आबकारी नीति 4-9-2020 को बनी थी। एक साल के लिए नौ एक्सपर्ट कमेटियां थीं। इनमें चार विभाग शामिल थे।

एक साल बाद, जुलाई 2021 में पहली बार पॉलिसी पब्लिश हुई। कम से कम 50 नौकरशाह इसमें शामिल थे। LG भी इस पर साइन करते हैं। बस यही हुआ कि LG और केजरीवाल ने इस पर साइन किए। यह उनका अपना मामला है।

सिंह: मेरे दोस्त ने कहा कि LG को भी सह-आरोपी बनाया जाना चाहिए था। यह सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार LG को वहां होना ही था। जब इसकी जरूरत ही नहीं है तो सनसनी क्यों फैलाई जाए? यह LG की मंज़ूरी नहीं है। वे जो कह रहे हैं, उन सभी अधिकारियों ने बयान दिए हैं।

केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 8 अगस्त तक बढ़ी
वहीं, दिल्ली शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार केस में 25 जुलाई को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इसमें कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 8 अगस्त तक बढ़ा दी थी। वहीं, ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी केजरीवाल 31 जुलाई तक जेल में ही हैं। ED ने उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उसके बाद राऊज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें कस्टडी में भेज दिया था।

12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत दी थी
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को अंतरिम जमानत दी थी। जस्टिस संजीव खन्ना ने जमानत देते हुए कहा था कि केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं। इसलिए उन्हें रिहा किए जाने का निर्देश देते हैं। हम जानते हैं कि वह चुने हुए नेता हैं और ये उन्हें तय करना है कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं।

जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है। इसके लिए हमने ऐसे 3 सवाल भी तैयार किए हैं। बड़ी बेंच अगर चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर बदलाव कर सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी अभी तक उनकी तरफ से बेल बॉन्ड नहीं भरा गया है। पूरी खबर पढ़ें…

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