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दिल्ली हाईकोर्ट बोला- रामदेव कोरोनिल का दावा वापस लें:योग गुरु ने इसे कोविड की दवा बताया था; डॉक्टर्स एसोसिएशन की याचिका पर फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट बोला- रामदेव कोरोनिल का दावा वापस लें:योग गुरु ने इसे कोविड की दवा बताया था; डॉक्टर्स एसोसिएशन की याचिका पर फैसला

नई दिल्ली33 मिनट पहले
डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को पतंजलि और बाबा रामदेव के खिलाफ डॉक्टरों की कई एसोसिएशन की तरफ से दाखिल याचिका पर फैसला सुनाया।

जस्टिस अनूप भंभानी की बेंच ने बाबा रामदेव को आदेश दिया है कि रामदेव 3 दिन के अंदर टिप्पणी वापस लें, जिसमें उन्होंने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर नहीं, बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है।

जस्टिस भंभानी ने कहा, ”मैंने पतंजलि, बाबा रामदेव और उनके प्रमोटरों को 3 दिनों में कुछ ट्वीट हटाने का निर्देश दिया है। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया मीडिएटर इन ट्वीट को हटा देंगे।”

दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान बाबा रामदेव ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर नहीं बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है। इसे लेकर डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी।

डॉक्टरों ने पतंजलि के दावे के संबंध में अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कोरोनिल से जुड़े बयानों को हटाने की अंतरिम राहत की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 21 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

डॉक्टरों की याचिका में अपील- कोरोनिल को इम्यूनो बूस्टर का लाइसेंस मिला था
डॉक्टरों की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि रामदेव ने कोरोनिल को कोविड की दवा बताते हुए कई भ्रामक दावे किए थे। जबकि, उन्हें कोरोनिल के लिए सिर्फ इम्यूनो-बूस्टर होने का लाइसेंस मिला था। डॉक्टरों के वकील ने यह मांग भी की थी कि पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव को भविष्य में ऐसे बयान देने से रोकने के लिए निर्देश दिए जाएं।

रामदेव के वकील ने कहा था कि भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पंतजलि ने सुप्रीम कोर्ट में जो बयान दर्ज कराए हैं, वे उन पर कायम हैं और हाईकोर्ट में उन बयानों को दोहरा सकते हैं।

इस पर डॉक्टरों के वकील ने कहा था कि पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में यह वादा किया था कि वे बिना सोचे समझे ऐसे बयान नहीं देगा, जो कानून के मुताबिक न हों। कोरोनिल का मामला उस मामले से अलग है, लिहाजा इस मामले में हाईकोर्ट को फैसला सुनाना चाहिए।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया
दूसरी तरफ, बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज पतंजलि आयुर्वेद पर कपूर उत्पाद बेचने पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश का उल्लंघन करने पर 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। 30 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने पतंजलि को कपूर उत्पाद बेचने से रोका था। एक हलफनामे में पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगी और अदालत के आदेशों का पालन करने की बात कही थी।

अंतरिम आवेदन के जरिए कोर्ट को बताया गया था कि पतंजलि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। जस्टिस आरआई चागला ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ उसके कपूर प्रोडक्ट के संबंध में ट्रेडमार्क उल्लंघन के मुकदमे में मंगलम ऑर्गेनिक्स के दायर अंतरिम आवेदन पर यह आदेश पारित किया है।

मंगलम ऑर्गेनिक्स ने दावा किया था कि पतंजलि ने 24 जून के बाद भी कपूर प्रोडक्ट बेचे। इसने आगे बताया कि 8 जुलाई को पतंजलि की वेबसाइट पर कपूर उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध थे। मंगलम ऑर्गेनिक्स ने कहा कि पतंजलि के पेश हलफनामे में इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।

पतंजलि ने 20 दिन पहले रोकी थी 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने 9 जुलाई सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि उसने बाजार में अपने 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री रोक दी है। उत्तराखंड ने अप्रैल में इन प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस सस्पेंड किए थे। यह जानकारी पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस से जुड़ी थी। यह केस IMA ने पतंजलि के खिलाफ दाखिल किया था।

कंपनी ने जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच को बताया कि लाइसेंस रद्द होने के बाद 5,606 फ्रेंचाइजी स्टोर्स को 14 प्रोडक्ट्स वापस लेने का निर्देश दिया गया है। साथ ही मीडिया प्लेटफार्म्स से भी प्रोडक्ट्स के विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया गया है।

बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को दो सप्ताह के भीतर एक एफिडेविट दायर करने का निर्देश दिया। इसमें कपंनी को बताना है कि क्या सोशल मीडिया को-ऑर्डिनेटर्स ने इन प्रोडक्ट्स के विज्ञापन हटाने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और क्या उन्होंने विज्ञापन वापस ले लिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 जुलाई को होगी।

सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि भ्रामक केस पर हुई थी सुनवाई
पतंजलि भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को पतंजलि आयुर्वेद से पूछा था कि जिन 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं। उनके विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने पतंजलि को एफिडेविट फाइल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया था।

सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि पर कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी इलाज के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

उत्तराखंड स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी ने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना ​​नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

कोर्ट ने पूछा था- विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को पतंजलि आयुर्वेद से पूछा था कि जिन 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं। उनके विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने पतंजलि को एफिडेविट फाइल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया था।

सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि पर कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी इलाज के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

उत्तराखंड स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी ने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना ​​नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

कोर्ट ने IMA चीफ को फटकार लगाई थी

सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को सुनवाई में मीडिया में दिए बयान को लेकर IMA चीफ की डॉ. आरवी अशोकन की माफी स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। दरअसल, कोर्ट ने कहा था कि IMA को अपने डॉक्टरों पर भी विचार करना चाहिए, जो अक्सर मरीजों को महंगी और गैर-जरूरी दवाइयां लिख देते हैं। अगर आप एक उंगली किसी की ओर उठाते हैं, तो चार उंगलियां आपकी ओर भी उठती हैं।

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को IMA चीफ ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। 29 अप्रैल को न्यूज एजेंसी से इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों का मनोबल तोड़ा है। IMA चीफ के इस बयान पर पतंजलि के चेयरमैन बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल कर कहा था- अशोकन ने कानून की गरिमा कम की।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान को लेकर IMA चीफ डॉ. आरवी अशोकन को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने 14 मई को कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी ठीक है, लेकिन कभी-कभी इंसान को संयमित भी होना पड़ता है। आप सोफे पर बैठकर अदालत के बारे में कुछ भी नहीं कह सकते। इसके बाद IMA चीफ ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी भी मांगी थी। हालांकि, कोर्ट ने माफीनामा ठुकरा दिया।

अशोकन का कोर्ट के खिलाफ बयान, 3 पॉइंट्स में समझिए…

  • अशोकन से पूछा गया था कि 23 अप्रैल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑब्जर्वेशन में कहा था कि वे एक अंगुली पतंजलि को दिखा रहे हैं, लेकिन बाकी चार अंगुली IMA की तरफ हैं। अशोकन ने कहा कि ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की।
  • उन्होंने कहा कि अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है। हमें ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है। शायद उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया कि मामला ये था ही नहीं, जो कोर्ट में उनके सामने रखा गया था।
  • आप चाहे कुछ भी कहें, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में डॉक्टर्स ईमानदारी से काम करते हैं, वे अपनी नीति और उसूलों के मुताबिक प्रैक्टिस करते हैं। सुप्रीम कोर्ट को ये शोभा नहीं देता है कि देश के मेडिकल प्रोफेशन के बारे में ऐसी बातें कहें, जिसके इतने सारे डॉक्टर्स ने कोरोना के दौरान अपनी जान तक की कुर्बानी दी है।

बालकृष्ण ने याचिका लगाई, कहा- अशोकन के खिलाफ कार्रवाई हो
अशोकन के बयान को लेकर आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि IMA चीफ अशोकन के बयान केस की चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप करते हैं और जस्टिस की प्रोसेस में दखलअंदाजी करते हैं।

उन्होंने अशोकन के बयान को निंदनीय बताते हुए कहा कि यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम करने का प्रयास है। बालकृष्ण ने अपनी याचिका में अशोकन के खिलाफ कानून के अनुरूप कार्रवाई की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आप सोफे पर बैठकर कुछ भी नहीं कह सकते
बालकृष्ण की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 14 मई को कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी ठीक है, लेकिन कभी-कभी इंसान को संयमित भी होना पड़ता है। आप सोफे पर बैठकर अदालत के बारे में कुछ भी नहीं कह सकते।

कोर्ट ने कहा कि आप IMA के अध्यक्ष हैं। आपके एसोसिएशन में 3 लाख 50 हजार डॉक्टर्स हैं। आप आम लोगों और जनता पर कैसी छाप छोड़ना चाहते हैं? आप एक जिम्मेदार पद पर हैं। आपको जवाब देना होगा। आपने 2 हफ़्ते में कुछ नही किया। आपने जो इंटरव्यू दिया उसके बाद क्या किया? हम आपसे जानना चाहते है!

पतंजलि केस के बारे में 6 पॉइंट में समझिए…

  • सुप्रीम कोर्ट में IMA ने 17 अगस्त 2022 को याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।
  • IMA का तर्क था कि हर कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स का प्रचार करने का हक है, लेकिन पतंजलि के दावे ‘ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954’ और ‘कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019’ का सीधा उल्लंघन करते हैं।
  • IMA ने एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली (मॉडर्न सिस्टम ऑफ मेडिसिन) के बारे में फैलाई जा रहीं गलत सूचनाओं पर चिंता जताई। याचिका में कहा गया कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन एलोपैथी की निंदा करते हैं और कई बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करते हैं।
  • IMA ने केंद्र सरकार, ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) और सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (CCPA) से मांग की थी कि आयुष चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए एलोपैथी को अपमानित करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
  • याचिका में बाबा रामदेव के दिए कुछ विवादास्पद बयानों का भी जिक्र किया गया। मसलन, एलोपैथी को ‘बेवकूफ और दिवालिया बनाने वाला विज्ञान’ बताना, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से लोगों की मौत का दावा करना वगैरह।
  • IMA ने यह भी आरोप लगाए कि पतंजलि ने कोविड की वैक्सीन के बारे में अफवाह फैलाई, जिससे लोगों में वैक्सीन लगवाने को लेकर डर पैदा हो गया। याचिका में ये भी कहा गया कि पतंजलि ने कोरोना के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर की तलाश कर रहे युवाओं का उपहास उड़ाया। आयुष मंत्रालय ने ASCI के साथ एक समझौता किया है, इसके बावजूद पतंजलि ने निर्देशों का उल्लंघन किया।

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