सुप्रीम कोर्ट मनीष सिसोदिया की जमानत से जुड़ी याचिकाओं पर अब 5 अगस्त को सुनवाई करेगा। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान ED ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा। जिसके बाद जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई स्थगित कर दी।
ED की तरफ से ASG ने सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई होने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 4 जून के आदेश ने सिसोदिया को केवल ट्रायल कोर्ट में नई जमानत याचिका दायर करने का अधिकार दिया गया है, न कि सुप्रीम कोर्ट में।
सिसोदिया को पिछले साल 26 फरवरी को CBI ने और 9 मार्च को ED ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। वे फिलहाल तिहाड़ जेल में हैं।
ED केस में 3 जुलाई को दिल्ली की एक अदालत ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 25 जुलाई तक बढ़ा दी थी। CBI केस में सिसोदिया 31 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में हैं।
मनीष सिसोदिया पर 16 महीने से हिरासत में
सिसोदिया ने अपनी याचिका में कहा है कि 2023 अक्टूबर से उनके खिलाफ मुकदमे में कोई प्रोग्रेस नहीं हुई है। इसलिए दिल्ली आबकारी मामलों में जमानत की मांग वाली पिछली याचिका पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।
इससे पहले 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में मनीष सिसोदिया की जमानत की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजय कुमार ने बेंच से खुद को अलग कर लिया था, जिसके बाद सुनवाई टल गई थी। ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हो चुकी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 जून को जमानत से इनकार किया था
ट्रायल कोर्ट ने 30 अप्रैल को सिसोदिया की जमानत याचिका फिर से खारिज कर दी थी। इस फैसले के खिलाफ सिसोदिया हाईकोर्ट पहुंचे थे। 21 मई को हाईकोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 जून को सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सिसोदिया ने इस पर दोबारा विचार करने को लेकर याचिका लगाई थी।
11 जुलाई को जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संजय कुमार की बेंच सुनवाई करने वाली थी। हालांकि, जैसे ही मामला सुनवाई के लिए रखा गया, जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘हमारे भाई (जस्टिस संजय कुमार) को कुछ दिक्कत है। वह निजी कारणों के चलते इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहते।’ जस्टिस संजय कुमार ने मामले से खुद को अलग कर लिया था।
पहले भी कई बार खारिज हुई सिसोदिया की जमानत याचिका
- 28 अप्रैल 2023 : ED केस में राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की।
- 31 मार्च 2023 : CBI केस में जमानत याचिका को खारिज की।
- 3 जुलाई 2023 : दिल्ली हाईकोर्ट ने ED केस में जमानत याचिका खारिज की।
- 30 मई 2023 : CBI केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज की।
- 30 अक्टूबर 2023 : ED केस में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था।
शराब नीति घोटाला और सिसोदिया का कनेक्शन, 5 पॉइंट्स
1. नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू हुई
दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इस नीति से शराब की दुकानें निजी हाथों में चली जाएंगी। सिसोदिया से जब नई नीति लाने का मकसद पूछा गया तो उन्होंने दो तर्क दिए। पहला- माफिया राज खत्म होगा। दूसरा- सरकारी खजाना बढ़ेगा।
17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति 2021-22 लागू कर दी गई। इससे शराब कारोबार से सरकार से बाहर हो गई और ये बिजनेस निजी हाथों में चला गया। कई बड़े डिस्काउंट देने से शराब की जमकर बिक्री हुई। इससे सरकारी खजाना तो बढ़ा, लेकिन इस नई नीति का विरोध होने लगा।
2. जुलाई 2022 में शराब नीति में घोटाले का आरोप लगा
8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नई शराब नीति में घोटाला होने का आरोप लगाया। उन्होंने इससे जुड़ी एक रिपोर्ट एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी। इसमें बताया गया कि सिसोदिया ने लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। उधर, LG ने भी कहा है कि उनकी और कैबिनेट की मंजूरी के बिना ही शराब नीति में बदलाव कर दिए।
3. अगस्त 2022 को CBI और ED ने केस दर्ज किया
एलजी सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर CBI जांच की मांग की। 17 अगस्त 2022 को जांच एजेंसी ने केस दर्ज किया। इसमें मनीष सिसोदिया, तीन रिटायर्ड सरकारी अफसर, 9 बिजनेसमैन और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया। सभी पर भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया।
19 अगस्त को सिसोदिया के घर और दफ्तर समेत सात राज्यों के 31 ठिकानों पर छापेमारी की। इस पर सिसोदिया ने दावा किया कि सीबीआई को कुछ नहीं मिला। इधर, 22 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने CBI से मामले की जानकारी लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया।
4. जुलाई 2022 सरकार ने नई नीति को रद्द किया
विवाद बढ़ता देख 28 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को रद्द कर दिया। फिर से पुरानी नीति लागू करने का फैसला लिया। 31 जुलाई को सरकार ने कैबिनेट नोट में बताया कि शराब की ज्यादा बिक्री के बाद भी सरकार की कमाई कम हुई, क्योंकि खुदरा और थोक कारोबारी शराब के धंधे से हट रहे थे।
5. फरवरी 2023 में CBI ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया
सिसोदिया के पास एक्साइज डिपार्टमेंट था, इसलिए उन्हें कथित तौर पर इस घोटाले का मुख्य आरोपी बनाया गया। कई बार पूछताछ के बाद जांच एजेंसी ने 26 फरवरी को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल वे जेल में हैं। CBI ने सिसोदिया पर आरोप लगाया कि एक्साइज मिनिस्टर होने के नाते उन्होंने मनमाने और एकतरफा फैसले लिए, जिससे खजाने को भारी नुकसान पहुंचा और शराब कारोबारियों को फायदा हुआ।