भारत में बीते 5 सालों में 528 हाथियों की मौत हुई है। इनमें सबसे ज्यादा मौतें करंट के कारण हुईं। इसके अलावा अवैध शिकार, जहर, ट्रेन हादसे में हाथियों की मौत शामिल है। सोमवार (29 जुलाई) को केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने संसद में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 392 हाथियों की मौत बिजली के झटके से हुई और 73 की मौत ट्रेन दुर्घटनाओं में हुई है।
ओडिशा में 71, असम में 55, कर्नाटक में 52, तमिलनाडु में 49, छत्तीसगढ़ में 32, झारखंड में 30 और केरल में 29 हाथियों की मौत बिजली के झटके से हुई। असम और ओडिशा में ट्रेन दुर्घटनाओं में 22 और 16 हाथियों की मौत दर्ज की गई।
शिकारियों ने ओडिशा में 17, मेघालय में 14 और तमिलनाडु में 10 हाथियों को मार डाला। असम में दस, छत्तीसगढ़ में दो और पश्चिम बंगाल में एक हाथी को ज़हर देकर मार दिया गया। लोकसभा में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2017 में की गई आखिरी हाथी जनगणना के अनुसार भारत में 29,964 हाथी हैं। जो उनकी वैश्विक आबादी का लगभग 60 प्रतिशत है।