राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को संसद की कार्यवाही शुरू होते ही अपने ऊपर लगाए गए परिवारवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कल मैं यहां लास्ट मूमेंट में नहीं था। उस समय माननीय सदस्य घनश्याम तिवाड़ी ने सदन में एक समस्या उठाई। उनके मन में क्या था, पता नहीं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राजनीति में ये मेरा पहला जनरेशन है। परिवार में कोई और नहीं था। पिता जी ने ही मुझे पाला-पोषा। मैं उनके आशीर्वाद से ही यहां तक पहुंचा। यह कहते हुए खड़गे ने अपने पिता के बारे में कहा कि वह 95 नहीं, 85 की उम्र में गुजर गए।
इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने उनसे कहा कि मैं चाहता हूं कि 95 से भी आप आगे जाएं। इसी पर खड़गे ने भावुक होते हुए कहा कि मैं इस माहौल में ज्यादा जीना चाहता। उनका गला भर आया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मुझे बुरा लगा तिवाड़ी जी ने कहा कि खड़गे जी का नाम मल्ल्कार्जुन है, शिव का नाम है… 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मेरा नाम पिता जी ने सोच-समझकर रखा है। खड़गे ने दावा किया कि तिवाड़ी ने उनके परिवार का जिक्र करते हुए परिवारवाद का आरोप लगाया।
खड़गे ने कहा कि अगर मैं निकालूंगा… कितने यहां परिवादवाद के उदाहरण बैठे हैं। उन्होंने सभापति से कहा कि वह बात सदन की कार्यवाही से बाहर निकाली जानी चाहिए। यह कहते हुए खड़गे ने हाथ जोड़ लिए। उन्होंने कहा कि सभापति जी मैं आपसे विनती करता हूं। बाद में जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह इस बात को गंभीरता से देखेंगे।