मणिपुर के ईस्ट इंफाल जिले में गुरुवार को अकमपत रिलीफ कैंप के करीब सौ विस्थापित लोग अपने पुनर्वास और राज्य में शांति की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन करने निकले थे। इन्हें रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले चलाए, जिसके बाद लोगों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हो
लोगों ने अपने हाथ में बैनर और पोस्टर पकड़े हुए थे और वे मांग कर रहे थे कि उन्हें तेंगनोउपाल जिले के मोरेह में अपने घरों में लौटने दिया जाए। स्थानीय लोग भी इस रैली में शामिल हो गए और सुरक्षाबलों पर पथराव किया। प्रदर्शनकारियों ने करीब एक किमी तक रैली निकली, लेकिन उसके बाद इंफाल वेस्ट जिले में सिंगजामेई में CRPF जवानों के आने के बाद उन्हें रोक दिया गया।
मणिपुर हिंसा के कारण 67 हजार लोग विस्थापित हुए
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मार्च 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति (ST) में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए कहा था। इसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य के पहाड़ी जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था जो अभी भी जारी है।
3 मई 2023 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। जो देखते ही देखते पूर्वी-पश्चिमी इंफाल, बिष्णुपुर, तेंगनुपाल और कांगपोकपी समेत अन्य जिलों में फैल गए थे। इस हिंसा में करीब 200 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
जिनेवा के इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (IDMC) ने मई महीन में एक रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि साल 2023 में साउथ एशिया में 69 हजार लोग विस्थापित हुए। इनमें से 97 फीसदी यानी 67 हजार लोग मणिपुर हिंसा के कारण विस्थापित हुए हैं। लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा और दूसरे लोगों के घरों के अलावा राहत शिविर में आसरा लेना पड़ा।
मैतेई और कुकी कम्युनिटी के बीच दो थ्योरी…
कुकी: इनका मानना है कि स्टेट पुलिस मैतेई कम्युनिटी को सपोर्ट कर रही है, क्योंकि इंफाल में मैतेई का दबदबा है। CM से लेकर मंत्री तक सब मैतेई हैं। कुकी कम्युनिटी के DGP थे, उन्हें हिंसा के वक्त हटा दिया गया। इन्हें राज्य से ज्यादा केंद्र सरकार पर भरोसा है।
मैतेई: इनका मानना है कि आबादी में कम होने के बावजूद 90% जमीन पर कुकी लोगों का कब्जा है। कुकी का म्यांमार से सीधा कनेक्शन है। वहां से मिलिटेंट इनके सपोर्ट के लिए आते हैं। असम राइफल्स को अपने बाहरी ऑपरेशन में कुकी की जरूरत होती है। इसलिए वो कुकी को सपोर्ट कर रहे हैं। ये लोग ड्रग्स का धंधा करते हैं।