सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में 10 मेंबर नॉमिनेट करने के उपराज्यपाल (LG) के फैसले को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह की आवश्यकता नहीं है।
CJI डी वाय चंद्रचूड़ जस्टिस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बैंच ने कहा कि MCD में सदस्यों को नामित करने की LG की वैधानिक शक्ति है, न कि कार्यकारी शक्ति। सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल के 10 एल्डरमैन नियुक्त करने के फैसले को बरकरार रखा है। इससे पहले मई 2023 में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।
दरअसल, LG विनय कुमार सक्सेना की ओर से इस साल 1 और 4 जनवरी को ऑर्डर और नोटिफिकेशन जारी करके 10 एल्डरमैन (मेंबर) की नियुक्ति की गई थी। इसके फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।alder
आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई असहमति
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र और संविधान के लिए बड़ा झटका बताया है। उन्होंने फैसले पर अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि कोर्ट का फैसला मामले की सुनवाई से एक दम उलट है। सांसद ने कहा कि दिल्ली को अन्य राज्यों की तरह ये अधिकार मिलना चाहिए।
अब आगे क्या
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली MCD में स्टैंडिग कमेटी बनने का रास्ता साफ हो गया है। एल्डरमैन की नियुक्ति बीजेपी के लिए बड़ी राहत है तो आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। नियुक्त किए गए एल्डरमैन वोट करते हैं तो स्टैंडिंग कमेटी चैयरमैन के चुनाव में बीजेपी और मजबूत हो जाएगी।
LG का तर्क- कानून के तहत एल्डरमैन की नियुक्ति की गई
पिछले साल 17 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान LG की तरफ से तर्क दिया गया कि संविधान के अनुच्छेद 239(एए) के तहत LG की पावर और दिल्ली के एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में उनकी भूमिका के बीच अंतर है। उन्होंने कहा कि कानून के आधार पर एल्डरमैन के नियुक्ति में LG की भूमिका है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि LG को ये पावर देने से संभावना है कि इलेक्टोरल तरीके से चुनी गई MCD अस्थिर हो जाए, क्योंकि एल्डरमैन के पास नगर निगम में मतदान की शक्ति भी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि LG के पास दिल्ली में एक्सटेनसीव एग्जीक्यूटिव पावर्स नहीं हैं।
सिर्फ तीन क्षेत्रों में कार्यकारी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं LG
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि LG अनुच्छेद 239AA (3) (ए) के तहत केवल तीन विशिष्ट क्षेत्रों में अपने विवेक पर कार्यकारी शक्ति का उपयोग कर सकता है। वह है पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और भूमि। अदालत ने यह भी कहा कि अगर LG दिल्ली सरकार की मंत्रिपरिषद से असहमत है तो उन्हें कार्य नियम ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस (टीओबी) 1961 में उल्लिखित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।