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इलेक्शन कमीशन बोला-चुनाव को बदनाम करने की कोशिश की गई:इलेक्टोरल डेटा और नतीजे कानूनन सही; कांग्रेस ने गड़बड़ी के आरोप लगाए थे

इलेक्शन कमीशन बोला-चुनाव को बदनाम करने की कोशिश की गई:इलेक्टोरल डेटा और नतीजे कानूनन सही; कांग्रेस ने गड़बड़ी के आरोप लगाए थे

नई दिल्ली4 घंटे पहले
तस्वीर 6 मार्च 2024 की है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने लोकसभा चुनाव का शेड्यूल बताया था।

चुनाव आयोग ने रविवार (4 अगस्त) को कहा कि अब तक के सबसे बड़े चुनाव को बदनाम करने के लिए कुछ झूठा कैंपेन चलाया जा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव सबसे ज्यादा ट्रांसपेरेंट तरीके से कराए गए हैं। चुनाव के हर चरण में उम्मीदवारों और स्टेकहोल्डर्स को शामिल किया गया है। इलेक्टोरल डेटा और रिजल्ट कानून के तहत वैधानिक प्रक्रियाओं के अनुसार है।

दरअसल, इससे एक दिन पहले 3 अगस्त को कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ‘वोट फॉर डेमोक्रेसी’ नाम के एक संगठन की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि चुनाव की कांउटिंग में गड़बड़ी हुई है। मतदान के अलग-अलग दिन रात 8 बजे दिए गए वोटिंग प्रतिशत और कुछ दिन बाद जारी किए गए फाइनल वोटिंग प्रतिशत में बड़ा अंतर देखने को मिला है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुछ राज्यों में 10 से 12 प्रतिशत वोटों में अंतर दिखा। बूथ में शाम 6 बजे तक वोटिंग खत्म हो जाती है। क्या 7 बजे के बाद भी बूथ में इतने लोग थे, जिससे 10-12 प्रतिशत तक वोट ज्यादा डाले गए और कुछ दिनों बाद जारी फाइनल वोटर टर्नआउट में वोटों का प्रतिशत बहुत ज्यादा बढ़ा।

अनुमानित और फाइनल वोटर टर्नआउट की तुलना की गई

इलेक्शन कमीशन ने रविवार देर रात को तीन पोस्ट कर गड़बड़ी के आरोप खारिज किए।

इन आरोपों को लेकर चुनाव आयोग ने X पर किए पोस्ट में कहा- मतदान के दिन शाम 7 बजे के अनुमानित वोटर टर्नआउट की फाइनल टर्नआउट से तुलना की गई है। मतदान के दिन कुछ बूथों पर लोग लाइन में भी लगे हुए होते हैं। किसी भी उम्मीदवार को गड़बड़ी की आशंका होती है तो चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दी जा सकती है, लेकिन इस मामले को में कोई याचिका दायर नहीं की गई। 2019 के लोकसभा चुनाव के तुलना में इस बार कम याचिकाएं दायर की गई थीं।

वोट फोर डेमोक्रेसी के हवाले से कांग्रेस के 3 आरोप

  1. मतदान वाले दिनों पर चुनाव आयोग द्वारा घोषित वोटों के आंकड़ों और अंतिम मतदान प्रतिशत में राष्ट्रीय स्तर 4.7 प्रतिशत अंतर है। आंध्र प्रदेश और ओडिशा में फाइनल मतदान में 12.5 प्रतिशत वोट बढ़ जाता है। संयोग है कि इन दोनों राज्य में भाजपा और उसके गठबंधन ने चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया।
  2. वोट फॉर डेमोक्रेसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 79 ऐसी सीटें हैं, जहां मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी भाजपा की जीत के मामूली अंतर से अधिक है। यानी 79 सीटें ऐसी हैं, जो भाजपा हेरफेर से जीती है। देश में 79 ऐसी सीटें हैं, जहां मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी भाजपा की जीत के मामूली अंतर से अधिक है।
  3. पहले फेज में 11 दिन बाद, दूसरे फेज में 6 दिन बाद और बाकी के फेज में 4-5 दिन बाद फाइनल आंकड़े दिए गए। जब वोटिंग शुरू होती है तो हर 2 घंटे में चुनाव आयोग को आंकड़े भेजने होते हैं। 6 बजे तक आमतौर पर सभी जगह वोट पड़ जाते हैं। यदि इसके बाद भी कुछ राज्यों में 10-12 प्रतिशत वोट पड़ा है तो यह संदेह पैदा करता है।

ADR की रिपोर्ट- कुल वोटिंग और गिने गए वोटों में करीब 5 लाख वोटों का अंतर

  • एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने मुताबिक, 362 सीटों पर कुल वोट और गिने गए वोटों में 5,54,598 का अंतर है। यानी इन सीटों पर इतने वोट कम गिने गए हैं। वहीं, 176 सीटों पर कुल पड़े वोटों से 35,093 वोट ज्यादा गिने गए हैं।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, अमरेली, अट्टिंगल, लक्षद्वीप, दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव काे छोड़कर 538 सीटों पर डाले गए कुल वोटों और गिने गए वोटों में विसंगति है। इन 538 सीटों पर यह अंतर 5,89,691 वोट का है। सूरत सीट पर मतदान नहीं हुआ था।
  • ADR के संस्थापक जगदीप छोकर ने कहा कि चुनाव में वोटिंग प्रत‍िशत देर से जारी करने और निर्वाचन क्षेत्रवार तथा मतदान केंद्र वार आंकड़े उपलब्ध न होने को लेकर सवाल है। सवाल ये भी है क‍ि नतीजे अंतिम मिलान अंकड़ों के आधार पर घोषित किए गए थे या नहीं।
  • ADR की रिपोर्ट में कहा गया है क‍ि चुनाव आयोग काउंटिंग के आख‍िरी और ऑथेंटिक डेटा अब तक जारी नहीं कर पाया।ईवीएम में डाले गए वोट और गिने गए वोट में अंतर पर जवाब नहीं दे पाया। मत प्रतिशत में वृद्धि कैसे हुई, इसके बारे में भी अभी तक नहीं बता पाया। क‍ितने वोट पड़े, मतदान प्रत‍िशत जारी करने में इतनी देरी कैसे हुई, वेबसाइट से कुछ डेटा उन्‍होंने क्‍यों हटाया?

चुनाव आयोग ने कहा- 2024 चुनाव में 65.79% मतदान

चुनाव आयोग ने 7 जून को लोकसभा चुनाव 2024 में कुल वोटिंग का आंकड़ा जारी किया। इस बार कुल मिलाकर 65.79% मतदान दर्ज किया गया। ये 2019 चुनाव के मुकाबले 1.61% कम है। पिछली बार कुल आंकड़ा 67.40% था।

असम में सबसे ज्यादा 81.56 फीसदी मतदान, जबकि बिहार में सबसे कम 56.19 फीसदी मतदान हुआ। इस चुनाव में मेल वोटर्स ने 65.80% और फीमेल वोटर्स ने 65.78% मतदान किया। वहीं, अन्य ने 27.08% वोटिंग की।

2019 चुनाव में 61.5 करोड़ लोगों ने वोट डाले थे। इस बार मतदाताओं की संख्या बढ़कर 64.2 करोड़ हो गई। इस पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि यह अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है। यह सभी G7 देशों के मतदाताओं का 1.5 गुना और EU के 27 देशों के मतदाताओं का 2.5 गुना है।

लोकसभा चुनाव में भाजपा को 240 सीटें को मिली हैं। यह बहुमत के आंकड़े (272) से 32 सीटें कम हैं। हालांकि, NDA ने 293 सीटों के साथ बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया। NDA में भाजपा के अलावा 14 सहयोगी दलों के 53 सांसद हैं। वहीं, कांग्रेस को 99 सीटें और I.N.D.I.A. ब्लॉक को 234 सीटें मिली हैं।

7 राज्यों में 15 साल बाद वोटिंग घटी
पिछले तीन लोकसभा चुनावों के मुकाबले 2024 में कम वोटिंग हुई है। 2009 में सभी 543 सीटों पर 58.21%, 2014 में 66.44%, 2019 में 67.4% मतदान हुआ ​था, जो इस बार 66.07% ही रह गया।

इस बार जिन राज्यों (मप्र, राजस्थान, गुजरात) में NDA और इंडिया में एकतरफा मुकाबला माना जा रहा है, वहां वोटिंग प्रतिश​त में 4 से 5% तक की गिरावट आई है। सबसे ज्यादा सीटों वाले राज्यों UP,​ बिहार, बंगाल में 15 साल में पहली बार वोटिंग प्रतिशत घटा है। हालांकि, महाराष्ट्र में पिछले 3 चुनावों से वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है।.

2019 और 2024 में हुए सातों फेज के वोटर आउट की तुलना
लोकसभा चुनाव 2019 में भी सात चरण में चुनाव हुए थे, लेकिन 2024 के 7 में से 5 चरणों में पिछली बार की तुलना में वोटिंग 4% तक घटी है। जिन 2 चरणों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है, वहां 1% से कम का अंतर है।

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