बांग्लादेश में 5 अगस्त को शेख हसीना के इस्तीफे के बाद आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ओबैदुल हसन ने भी इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी छात्रों ने शनिवार सुबह सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया था।
प्रदर्शनकारी बड़ी तादाद में वहां इकट्ठा हुए थे। छात्रों ने कहा, “अगर जजों ने इस्तीफे नहीं दिए तो हसीना की तरह उन्हें भी कुर्सी से खींचकर उतार देंगे।” प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाए थे कि सुप्रीम कोर्ट के जज हसीना से मिले हुए हैं।
इन जजों ने अंतरिम सरकार से पूछे बिना ही शनिवार को पूरी कोर्ट की एक बैठक बुलाई। इस मीटिंग के चलते प्रदर्शनकारियों ने एक घंटे के भीतर जजों से इस्तीफा देने की मांग की। चीफ जस्टिस के इस्तीफे के बाद 5 और जज अपना पद छोड़ सकते हैं। वहीं प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि जब तक सभी 6 जज इस्तीफा नहीं देते, वे सड़कें खाली नहीं करेंगे।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने फैसला किया है कि छात्रों के आंदोलन को दबाने के लिए 1 अगस्त से 5 अगस्त तक उनके खिलाफ जो भी केस दर्ज हुए थे, उन्हें खारिज कर दिया जाएगा। यह काम अगले 3 दिन के अंदर होगा।
ATM में कैश नहीं, लूटपाट के डर से बूथ बंद
बांग्लादेश में अस्थिरता के बीच ATM में कैश की कमी हो गई है। कई बैंकों ने लूटपाट के डर से ATM बूथ बंद कर दिए हैं। दरअसल, 5 अगस्त को पुलिसकर्मियों पर हमले के बाद से पुलिस अब तक काम पर नहीं लौटी है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गई है।
बैंकर्स ने बताया कि ATM में कैश नहीं है क्योंकि जो सुरक्षाकर्मी ATM तक कैश पहुंचाते हैं, वे काम पर नहीं लौटे हैं। इससे पहले 7 अगस्त को सेंट्रल बैंक ने सभी बैंकों से 1 दिन के लिए कैश निकालने पर 1 लाख टका की पाबंदी लगा दी थी।
हसीना के इस्तीफे के बाद से देश में हिंसा, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं बढ़ गई हैं। इनके खिलाफ शुक्रवार को हिंदू जागरण मंच ने ढाका में प्रदर्शन किया। बांग्ला अखबार ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक शाहबाग चौक पर हजारों लोग जमा हुए और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने हरे कृष्णा-हरे रामा के नारे भी लगाए।
‘हिंसा में तोड़े गए मंदिर फिर बनवाएं’
ढाका में प्रदर्शनकारी ने कहा कि दिनाजपुर में चार हिंदू गांवों को जला दिया गया है। लोग बेसहारा हो गए हैं, छिप-छिपकर रहने को मजबूर हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से ही हिंदू समुदाय पर हमले बढ़ गए हैं।
प्रदर्शन के दौरान हिंदू समुदाय ने अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना, अल्पसंख्यक संरक्षण आयोग का गठन, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने और संसद में अल्पसंख्यकों के लिए 10 फीसदी सीटें रखने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा भी मांगा। इसके अलावा तोड़े गए मंदिरों को फिर से बनाने की भी मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे इस देश में पैदा हुए हैं। यह उनके पूर्वजों की जमीन है। यह देश उनका भी उतना ही है। वे भले ही यहां मार दिए जाएं, फिर भी अपना जन्मस्थान बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे। अपना अधिकार पाने के लिए सड़कों पर रहेंगे।