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पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन:93 की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली; लंबे समय से बीमार थे

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन:93 की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली; लंबे समय से बीमार थे

नई दिल्ली7 मिनट पहले
उन्होंने 2004-05 के दौरान UPA-I सरकार में भारत के विदेश मंत्री के रूप में सेवा दी थी।

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार (10 अगस्त) की रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 93 साल के थे। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे कुछ हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे। उनका अंतिम संस्कार 12 अगस्त को लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जाएगा।

नटवर सिंह 2004-05 के दौरान UPA-I सरकार में भारत के विदेश मंत्री थे। तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। नटवर सिंह ने पाकिस्तान में राजदूत के रूप में भी काम किया और 1966 से 1971 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नटवर सिंह की मौत पर दुख जताया है। उन्होंने X पर लिखा, “नटवर सिंह ने डिप्लोमेसी और विदेश नीति की दुनिया में अहम योगदान दिया। वह अपनी बुद्धि के साथ-साथ बेहतरीन लेखन के लिए भी जाने जाते थे। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने X पर नटवर सिंह के साथ अपनी पुरानी तस्वीर शेयर की है।

राजस्थान के भरतपुर में जन्मे थे नटवर सिंह
नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1929 को राजस्थान के भरतपुर जिले में एक जाट हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने मेयो कॉलेज, अजमेर और सिंधिया स्कूल, ग्वालियर में शुरुआती पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। बाद में उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के कॉर्पस क्रिस्टी कॉलेज में पढ़ाई की। वे कुछ समय के लिए चीन के पेकिंग यूनिवर्सिटी में विजिटिंग स्कॉलर भी रहे।

नटवर सिंह 1953 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल हो गए। राजनयिक के तौर पर नटवर सिंह का करियर 31 साल लंबा रहा। वे पाकिस्तान, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत रहे। 1966 से 1971 तक वे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे और उनके विशेष सहायक के रूप में काम किया।

1984 में कांग्रेस में शामिल हुए, 2004 में विदेश मंत्री बने
1984 में नटवर सिंह कांग्रेस में शामिल हुए। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और राजस्थान के भरतपुर से सांसद चुने गए। 2004 में, उन्हें UPA-I सरकार में भारत का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया।हालांकि 2005 में ‘ऑयल फॉर फूड’ घोटाले में उनका नाम आने के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।

1984 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया
1984 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। नटवर सिंह ने कई पुस्तकें और संस्मरण लिखे हैं। उनकी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ काफी पॉपुलर है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन और राजनीतिक अनुभवों के बारे में विस्तार से लिखा है।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह।

नटवर सिंह ने अपनी किताब में सोनिया के PM पद ठुकराने का किस्सा बताया
नटवर सिंह ने अपनी किताब ‘वन लाइफ इज नॉट एनफ’ में 2004 का वह किस्सा भी बताया है, जब कांग्रेस लोकसभा चुनाव जीती थी और लगभग तय हो चुका था कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनने वाली हैं। लेकिन, ऐन वक्त पर सोनिया ने यह पद ठुकरा दिया था।

नटवर सिंह ने लिखा था, ‘उस समय गांधी परिवार पीएम पद को लेकर संशय में था। राहुल ने अपनी मां से कहा कि वो पीएम नहीं बनेंगी। राहुल अपनी मां सोनिया को रोकने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। दोनों मां-बेटे के बीच तेज और ऊंची आवाज में बातें हो रही थीं। राहुल को डर था कि मां पीएम बनीं तो उन्हें भी दादी और पिता की तरह मार दिया जाएगा।’

नटवर सिंह ने 2014 में अपनी जीवनी ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ लिखी थी।

नटवर सिंह ने किताब में लिखा, ‘राहुल बेहद गुस्से में थे। उस वक्त मैं, मनमोहन सिंह और प्रियंका वहीं थे। बात तब बढ़ गई जब राहुल ने कहा कि मां मैं आपको 24 घंटे का टाइम दे रहा हूं। आप तय कर लीजिए क्या करना है? आंसुओं से भरी मां (सोनिया) के लिए यह असंभव था कि राहुल की बात काे वो दरकिनार कर दें।’

18 मई 2004 की सुबह सोनिया गांधी सुबह जल्दी उठीं। राहुल और प्रियंका के साथ चुपचाप घर से बाहर निकल गईं। सोनिया की कार राजीव गांधी की समाधि पहुंची। तीनों थोड़ी देर तक समाधि के सामने बैठे रहे। उसी शाम 7 बजे संसद के सेंट्रल हॉल में कांग्रेस सांसदों की बैठक हुई।

नटवर ने लिखा- ‘सोनिया गांधी ने राहुल और प्रियंका की तरफ देखकर कहा- मेरा लक्ष्य कभी भी प्रधानमंत्री बनना नहीं रहा है। मैं हमेशा सोचती थी कि अगर कभी उस स्थिति में आई, तो अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनूंगी। आज वह आवाज कहती है कि मैं पूरी विनम्रता के साथ ये पद स्वीकार न करूं।’

शेरों के बीच से चलकर राजा तक गए थे नटवर, गांधी परिवार के सबसे नजदीक, लेकिन जब बिगड़ी तो मरते दम तक बात नहीं हुई

नटवर सिंह की राजनीतिक शख्सियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे जब तक दिल्ली के गलियारों में सक्रिय रहे हमेशा चर्चाओं में रहे।

नटवर सिंह एक समय कांग्रेस के कद्दवर नेताओं में शामिल रहे थे, जिनकी गांधी परिवार तक सीधी पहुंच थी और जो जब चाहे तब मिल सकते थे, लेकिन जब दूरियां बढ़ी और संबंध बिगड़े तो बोल-चाल तक बंद हो गई।

नटवर सिंह विदेश मामलों के एक्सपर्ट थे, यूपीए राज में विदेश मंत्री रहने के दौरान ही वोल्कर विवाद में उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। उस दौरान ही उनका गांधी परिवार से विवाद हुआ और कांग्रेस छोड़ दी। पूरी खबर पढ़ें…

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