परिवार के लोग जिसे 40 साल से मरा हुआ समझकर श्राद्ध निकाल रहे थे, वह रामेश्वर दास हरियाणा में जिंदा मिला। यमुनानगर के नी आसरे दा आसरा शेल्टर होम के सदस्यों ने मानसिक रूप से बीमार रामेश्वर दास को एक महीने पहले कुरुक्षेत्र के सरकारी अस्पताल के सामने से रेस्क्यू किया था। वहां पूछताछ करने पर पता चला कि रामेश्वर दास लंबे समय से यहां रह रहा है।
गिरने की वजह से उसे चोट भी लगी हुई थी। वह ठीक से नहीं चल पा रहा था। इसके बाद उसे यमुनानगर के मघरपुर गांव स्थित शेल्टर होम ले जाया गया। शेल्टर होम में रामेश्वर दास का इलाज किया गया। पूछताछ में पता चला कि वह बिहार के गया जिले के बड़ी खाप गांव का रहने वाला है।
शेल्टर होम के सदस्यों ने रामेश्वर दास के बड़े बेटे राजू भारती का नंबर निकालकर कॉल की। इसके बाद परिवार के लोग यमुनानगर पहुंचे। यहां परिवार रामेश्वर दास को देख कर फूट-फूटकर रोया। इसके बाद उसे अपने साथ ले गए।
बेटा बोला- पिता बिना बताए घर से निकले
रामेश्वर दास के बेटे राजू भारती ने बताया कि पिता 40 साल पहले घर से बिना बताए चले गए थे। इसके बाद न वह घर आए और न ही संपर्क करने की कोशिश की। परिवार ने मान लिया था कि वह अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसे बाद वह हर साल पिता का श्राद्ध निकालने लगे थे।
रामेश्वर को लेकर कुरुक्षेत्र से कॉल आई
शेल्टर होम के सदस्य जसकीरत सिंह ने कहा कि आसपास जिलों में जो भी बेसहारा लोग घूमते हैं, हम उनका शेल्टर होम में इलाज करते हैं। हमारे एक सदस्य ने कुरुक्षेत्र से कॉल किया था। वहां गए तो रामेश्वर दास की हालत नाजुक थी। शेल्टर होम में इलाज शुरू किया। यहां काउंसिलिंग के बाद पता चला कि वह बिहार का रहने वाला है।
परिवार को यकीन नहीं हुआ
जसकीरत सिंह ने आगे बताया कि हमारी ट्रैकिंग टीम रामेश्वर के घर तक पहुंची। परिवार उसे मरा हुआ समझ चुका था। जब टीम ने परिवार को ये बात बताई तो उन्हें एक बार के लिए यकीन नहीं हुआ। फिर उसकी वीडियो कॉल पर बात कराई। यह पता चला है कि रामेश्वर हरियाणा में काम ढूंढने के लिए आया था। यहां वह बीमार होता चला गया। इसके बाद घर भी नहीं जा पाया।
अभी तक हमारी टीम 350 के करीब लोगों को घर पहुंचा चुकी है। लोगों से अपील है कि आप लोगों को कोई भी रोड पर बेसहारा घूमता हुआ या मानसिक रूप से बीमार दिखे तो हमारी टीम को सूचना दें।