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पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 21 अगस्त तक रोक:दिल्ली हाईकोर्ट बोला- लोअर कोर्ट पूर्व ट्रेनी IAS पर लगे आरोपों में उलझा; पुलिस-UPSC को नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (12 अगस्त) को पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 21 अगस्त तक रोक लगा दी है। साथ ही दिल्ली पुलिस और UPSC को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

सुनवाई कर रहे जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा- निचली अदालत, खेडकर को राहत देने से इनकार करते हुए उनके खिलाफ लगे आरोपों में उलझ गई और याचिका पर सही ढंग से विचार नहीं किया।

दरअसल, पटियाला हाउस कोर्ट ने 1 अगस्त को पूजा को राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद पूजा ने 8 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।

2023 बैच की ट्रेनी IAS अफसर रहीं पूजा के खिलाफ UPSC ने पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने के मामले में FIR दर्ज कराई थी।

हाईकोर्ट की 3 दलीलें…

  • निचली अदालत का फैसला, पूजा के अपराध पर आधारित है। यह तो माना गया कि अपराध हुआ है, लेकिन इस बात पर शायद ही कोई चर्चा हुई है कि मांगी गई जमानत क्यों नहीं दी जा सकती।
  • इस केस में कुछ और लोग भी शामिल हैं और साजिश का पता लगाया जाना है, लेकिन जमानत पर कोई चर्चा नहीं हुई है।
  • बड़े मामलों में होता यह है कि हम दलीलों में इतने उलझ जाते हैं कि हम मांगी गई राहत को भूल जाते हैं। हम उस उद्देश्य को भूल जाते हैं, जिसके लिए जमानत दायर की गई थी।

पूजा खेडकर पर गलत जानकारी देकर परीक्षा में शामिल होने का आरोप
पूजा 2023 बैच की ट्रेनी IAS थीं। उन्हें CSE-2022 में 841वीं रैंक मिली थी। वे जून 2024 से ट्रेनिंग कर रही थीं। उन पर आरोप है कि उन्होंने रिजर्वेशन का फायदा उठाने के लिए UPSC CSE-2022 परीक्षा में शामिल होने के लिए खुद से जुड़ी गलत जानकारी दी थी।

UPSC ने अपनी जांच में पूजा को दोषी पाया। इसके बाद 31 जुलाई को पूजा का सिलेक्शन रद्द किया गया। पूजा पर उम्र, माता-पिता की गलत जानकारी, पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने का आरोप था। सिलेक्शन रद्द होने के बाद पूजा का पद छिन गया। उन पर भविष्य में UPSC का कोई एग्जाम देने पर रोक है।

आयोग पूजा की धोखाधड़ी पहचानने में चूका
खेडकर के केस के चलते UPSC ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक रिकमेंड किए गए उम्मीदवारों के डेटा की जांच की। इसमें पाया गया कि उनके अलावा किसी अन्य उम्मीदवार ने CSE नियमों के तहत तय अटेम्प्ट से ज्यादा अटेम्प्ट नहीं दिए थे। पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर का मामला एकमात्र था।

उन्होंने कई बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदलकर परीक्षा दी थी, इसलिए UPSC की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) उनके अटेम्प्ट्स की संख्या का पता नहीं लगा सकी। UPSC अपनी SOP को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि भविष्य में ऐसे मामले दोबारा न हों।

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