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बांग्लादेश में भारतीय सेना की जीत का स्मारक तोड़ा:सिर्फ टुकड़े बचे, इसमें पाकिस्तान की हार दिखाई गई थी; हिंदू छात्रों से बात करेंगे यूनुस

बांग्लादेश में भारतीय सेना की जीत का स्मारक तोड़ा:सिर्फ टुकड़े बचे, इसमें पाकिस्तान की हार दिखाई गई थी; हिंदू छात्रों से बात करेंगे यूनुस

4 मिनट पहले

बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों ने 1971 के जंग से जुड़े राष्ट्रीय स्मारक को तोड़ दिया। मुजीबनगर में स्थित यह स्मारक भारत-मुक्तिवाहिनी सेना की जीत और पाकिस्तानी सेना की हार का प्रतीक था।

16 दिसंबर 1971 को पाकिस्‍तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने हजारों सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था।

भारतीय सेना के ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट-जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने उन्होंने दस्‍तावेजों पर हस्‍ताक्षर किए थे। इस स्मारक में उसी की छवि को दर्शाया गया है।

यह स्मारक को नुकसान पहुंचाए जाने पहले की तस्वीर है। (फोटो- @ShashiTharoor)
शशि थरूर ने लिखा है कि भारत इस वक्त बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है, लेकिन इस तरह की अराजकता को कभी भी माफ नहीं किया जा सकता।
इस स्मारक में पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी को भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी को ‘सरेंडर लेटर’ पर हस्ताक्षर करते हुए दर्शाया गया है।

थरूर बोले- यूनुस मोहम्मद भारत के लिए खतरा नहीं
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक इंटरव्यू में कहा है कि मोहम्मद यूनुस भारत के लिए खतरा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यूनुस के पाकिस्तान की ISI या जमात-ए-इस्लामी से संबंध नहीं हैं। वे अमेरिका के करीबी हैं। ऐसे में उनके अंतरिम सरकार बनाने से भारत-बांग्लादेश के संबंधों पर खास असर नहीं पड़ेगा।

वहीं, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के बीच अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस हिंदू छात्रों से मुलाकात करेंगे। हिंदू छात्र अल्पसंख्यक अधिकार आंदोलन समूह यूनुस सरकार के सामने 8 मांगें रखेंगे। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हिंदू समुदाय पर हमले से जुड़ी 205 घटनाएं दर्ज की गई हैं।

ढाका में 70 सरकारी वकीलों का इस्तीफा
दूसरी तरफ बांग्लादेश में अटॉर्नी जनरल ऑफिस के 70 सरकारी वकीलों ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक अटॉर्नी जनरल के ऑफिस में 215 सरकारी वकील काम कर रहे थे। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने चीफ जस्टिस से इस्तीफा लिया था।

मोहम्मद यूनुस भ्रष्टाचार केस में बरी, चार दिन में दो मामलों में मिली राहत
अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में रविवार को बरी कर दिया गया है। बांग्लादेश के एंटी करप्शन कमीशन (भ्रष्टाचार विरोधी आयोग) ने यूनुस पर भ्रष्टाचार के संबंध में एक केस दर्ज किया था।

बांग्लादेश में 3 दिन पहले ही अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। अंतरिम सरकार के गठन से एक दिन पहले भी यूनुस को श्रम कानूनों के उल्लंघन से जुड़े एक मामले में बरी किया गया था। भ्रष्टाचार के मामले में सरकार में सलाहकार के तौर पर शामिल नूरजहां बेगम को भी बरी किया गया है। बांग्लादेशी अखबार डेली स्टार के मुताबिक एंटी करप्शन कमीशन ने ढाका कोर्ट में दाखिल अपनी शिकायत को वापस ले लिया है।

मोहम्मद यूनुस को अब तक 2 मामलों में बरी किया जा चुका है।

ग्रामीण टेलीकॉम में भ्रष्टाचार और नियमों के उल्लंघन का आरोप
मोहम्मद यूनुस पर ग्रामीण टेलीकॉम के चेयरमेन रहते हुए श्रम कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगा था। यूनुस के अलावा ग्रामीण टेलीकॉम के डायरेक्टर अशरफुल हसन, मोहम्मद शाहजहां और वर्तमान अंतरिम सरकार में सदस्य नूरजहां बेगम को भी श्रम कानूनों के उल्लंघन का आरोपी बनाया गया।

इस साल 1 जनवरी को सभी आरोपियों को 20 हजार रूपए के जुर्माने के साथ 6 महीने की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा जून में एंटी करप्शन कमीशन ने यूनुस समेत अन्य 13 लोगों पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था इन सभी पर ग्रामीण टेलीकॉम के कर्मचारियों के प्रोफिट फंड से लगभग 18 करोड़ रुपए के गबन का आरोपा था। यूनुस को आज इसी मामले में बरी किया गया है।

मोहम्मद यूनुस विपक्षी पार्टी BNP के नेताओं से मिलेंगे
अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस आज शाम 4 बजे खालिदा जिया की की पार्टी BNP के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे। ये मुलाकात यूनुस के घर पर होगी। गुरुवार को अंतरिम सरकार के गठन के बाद यूनुस पहली बार BNP नेताओं के साथ बैठक करेंगे।

काम पर लौटने लगे पुलिसकर्मी, गुरुवार तक आखिरी मोहलत
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक बांग्लादेश में विरोध जता रहे पुलिस अधिकारी हड़ताल वापस लेने पर सहमत हो गए हैं। अंतरिम सरकार के आश्वासन के बाद पुलिस अधिकारियों ने ये फैसला किया। पहले पुलिसकर्मियों ने अपनी जान को खतरा बताते हुए ड्यूटी करने से मना कर दिया था। साथ ही हड़ताल पर चले गए थे।

गृह मंत्रालय ने पुलिस से गुरुवार तक काम पर लौटने को कहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग गुरुवार तक काम पर नहीं लौटेंगे, ऐसा माना जाएगा कि वे नौकरी के इच्छुक नहीं हैं। पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, रविवार तक देश भर में 639 में से 599 पुलिस थानों में कामकाज फिर से शुरू हो गया।

ट्रैफिक पुलिस भी ड्यूटी पर वापस लौट आए हैं। सोमवार सुबह कई पुलिसकर्मी चौक-चौराहे पर व्यवस्था संभालते दिखे।

हसीना के बेटे ने कहा- मां ने कोई इंटरव्यू नहीं दिया
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद जॉय ने दावा किया है कि उनकी मां ने इस्तीफे से जुड़ा कोई भी बयान नहीं दिया है। जॉय ने सोशल मीडिया पर लिखा कि एक अखबार में उनकी मां के नाम से जारी बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढंत है।

जॉय ने कहा, “मैंने मां से बात की है। उन्होंने बताया कि ढाका छोड़ने से पहले या बाद में ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।” दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक शेख हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों के माध्यम से मीडिया को भिजवाए एक संदेश में दावा किया था कि उन्हें सत्ता से हटाने में अमेरिका का हाथ है।

अखबार के दावे के मुताबिक हसीना ने कहा था कि वो सेंट मार्टिन द्वीप और बंगाल की खाड़ी को अमेरिकी कंट्रोल में देकर अपनी कुर्सी बचा सकती थी। अब हसीना के बेटे ने इस दावे को गलत बताया है।

अमेरिका पर द्वीप हासिल करने के लिए दबाव बनाने का आरोप
इससे पहले जून 2021 में बांग्ला अखबारों में दावा किया गया था कि अमेरिका, बांग्लादेश से सेंट मार्टिन द्वीप की मांग कर रहा है। वह यहां मिलिट्री बेस बनाना चाहता है। इसके बाद बांग्लादेश वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष रशीद खान मेनन ने भी संसद में कहा कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप हासिल करना चाहता है।

इसी साल 26 मई को 14 पार्टियों की बैठक में हसीना ने कहा था कि बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ इलाकों को तोड़कर ईस्ट तिमोर जैसा ‘ईसाई देश’ बनाने की साजिश रची जा रही है। एक ‘व्‍हाइट मैन’ ने चुनाव से पहले उन्हें ऑफर भी दिया था कि यदि वह अपने देश की सीमा में आर्मी बेस बनाने की अनुमति देती हैं तो बिना किसी परेशानी के चुनाव कराने दिया जाएगा।

हालांकि शेख हसीना ने ये नहीं बताया था कि वो देश और वो ‘व्हाइट मैन’ कौन है, लेकिन तब भी शक की सुई अमेरिका पर उठी थी।

सेंट मार्टिन द्वीप को ‘नारिकेल जिंजीरा’ या नारियल द्वीप के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां हजारों की संख्या में नारियल के पेड़ हैं।

सिर्फ 3 किमी वर्ग का द्वीप, अरब व्यापारियों ने बसाया
सेंट मार्टिन द्वीप जिसे लेकर बांग्लादेश की राजनीति में इतना हंगामा मचा है, वह सिर्फ 3 वर्ग किमी का एक द्वीप है। म्यांमार से इसकी दूरी सिर्फ 5 मील है। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक इस द्वीप को 18वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों ने बसाया था। उन्होंने इसका नाम ‘जजीरा’ रखा था। इसके बाद यहां ब्रिटिश हुकूमत ने कब्जा कर लिया।

फिर इस द्वीप का नाम चटगांव के डिप्टी कमिश्नर के नाम पर सेंट मार्टिन द्वीप रखा गया। इस द्वीप को बंगाली भाषा में ‘नारिकेल जिंजिरा'(कोकोनट आइलैंड) या फिर दारुचिनी द्वीप (दालचीनी द्वीप) कहा जाता है। यह बांग्लादेश का एकमात्र कोरल आइलैंड (मूंगा द्वीप) है।

यह आइलैंड टूरिज्म के अलावा बिजनेस के लिए भी अहम है। इस द्वीप पर 9 गांव हैं जिनमें करीब 3,700 लोग रहते हैं। इनका व्यवसाय मछली पकड़ना, चावल, नारियल की खेती करना है। यहां के किसान अपनी उपज नजदीकी देश म्यांमार के लोगों को बेचते हैं।

भौगोलिक स्थिति अहम, यहां से चीन-भारत पर नजर रखा जा सकता है
सेंट मार्टिन की भौगोलिक स्थिति काफी अहम है। द डेली स्टार के मुताबिक यदि कोई देश सेंट मार्टिन में सैन्य बेस बना लेता है, तो वह मलक्का स्ट्रेट के पास उसे बढ़त मिल जाएगी। इस रूट का इस्तेमाल चीन ट्रांसपोर्स के लिए करता है। यह आइलैंड न सिर्फ चीन और म्यांमार पर नजर रखने के काम आ सकता है बल्कि यहां से ये भी पता चल सकता है कि भारत क्या कर रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि म्यांमार भी सेंट मार्टिन आइलैंड पर दावा कर चुका है। 1937 में म्यांमार के ब्रिटिश शासन से अलग होने के बाद भी ये आइलैंड ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना रहा। साल 1947 में भारत के आजाद होने के बाद भी इस आइलैंड पर ब्रिटेन ने अपना कब्जा बरकरार रखा। हालांकि कुछ समय बाद पाकिस्तान ने इस पर कंट्रोल कर लिया।

1971 में पाकिस्तान के अलग होने के बाद बांग्लादेश ने इस आइलैंड पर अपना कंट्रोल हासिल कर लिया। द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1974 में बांग्लादेश और म्यांमार दोनों इस समझौते पर पहुंचे थे कि सेंट मार्टिन आइलैंड पर बांग्लादेश का नियंत्रण होगा।

साल 2018 में म्यांमार ने अपने ऑफिशियल मैप में सेंट मार्टिन आइलैंड को अपना हिस्सा बताया। हालांकि बांग्लादेश की आपत्ति के बाद विदेश मंत्रालय ने अपनी गलती मानते हुए इस मैप को हटा दिया। इससे पहले कई बार इस इलाके में म्यांमार के सैनिक बांग्लादेशी नागरिकों पर हमले कर चुके हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस द्वीप का उपयोग रोहिंग्या, म्यांमार से भागने और बांग्लादेश में घुसने करने के लिए भी किया जाता है।

दावा-हसीना बोलीं- बांग्लादेशियों की जान बचाने के लिए इस्तीफा दिया:कहा- अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप दे देती तो सत्ता नहीं जाती, मैं बांग्लादेश लौटूंगी

बांग्लादेश में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के 6 दिन बाद शेख हसीना ने कहा है कि अमेरिका को सेंट मार्टिन आइलैंड न देने की वजह से उनकी सरकार गिराई गई है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों से कहा, “मैं कट्टरपंथियों की हिंसा में मरने वालों की संख्या को बढ़ने नहीं देना चाहती थी। वे छात्रों के शवों के जरिए सत्ता हासिल करना चाहते थे। लेकिन मैंने पद छोड़कर ऐसा नहीं होने दिया।” पूरी खबर यहां पढ़ें…

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